किसानों को सिर्फ 3990 रुपये का देना होगा अंशदान
हर यूनिट की कुल लागत 39,300 रुपये निर्धारित की गई है, लेकिन किसानों को इसमें से केवल 3990 रुपये ही देने होंगे. बाकी की राशि राज्य सरकार और कार्बन क्रेडिट मॉडल के जरिए पूरी की जाएगी. इससे किसानों के घरेलू गैस खर्च में 70% तक की बचत होगी. गैस के साथ-साथ किसानों को जैविक खाद भी मुफ्त में उपलब्ध होगी, जिससे खेती की लागत भी घटेगी.
गैस के साथ-साथ मिलेगी प्राकृतिक खाद
इन घरेलू बायोगैस यूनिटों से केवल रसोई गैस नहीं बल्कि खेती के लिए उपजाऊ स्लरी (प्राकृतिक खाद) भी प्राप्त होगी. इससे रासायनिक खाद पर निर्भरता घटेगी, और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा. इससे न सिर्फ किसान आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि स्वस्थ फसल उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा.
योजना में मनरेगा से बनेगी 43 गोशालाएं
इस योजना के अंतर्गत मनरेगा के सहयोग से 43 गोशालाओं में भी बायोगैस यूनिटें और जैविक खाद संयंत्र लगाए जाएंगे. एक गोशाला से हर महीने करीब 50 क्विंटल स्लरी मिलने की संभावना है. यह स्लरी ग्रामीण क्षेत्रों में जैविक खाद के लिए सप्लाई की जाएगी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
गांव की रसोई होगी आत्मनिर्भर, पर्यावरण को मिलेगा संरक्षण
इस पहल से जहां एक ओर ग्रामीण परिवारों का रसोई खर्च कम होगा, वहीं दूसरी ओर प्रदूषण रहित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा. इस योजना से स्वच्छता, ऊर्जा, जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण के चारों लक्ष्य एकसाथ पूरे होंगे.
योगी सरकार की यह पहल न केवल किसानों की आर्थिक मजबूती का रास्ता खोलेगी, बल्कि गांवों को स्वच्छ ऊर्जा, हरियाली और रोजगार की नई दिशा देगी। अगर यह योजना अपेक्षा के अनुरूप सफल रही तो यह पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।