42,891 करोड़ की लागत से जुड़े 3,397 प्रस्तावों की गहन समीक्षा
मुख्यमंत्री ने 42,891 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट वाले 3,397 विकास प्रस्तावों पर समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन परियोजनाओं पर जनप्रतिनिधियों के सुझावों को प्राथमिकता के आधार पर गंभीरता से अमल में लाया जाए और चरणबद्ध तरीके से इन्हें पूर्ण किया जाए.
जनपदों की पहचान और सांस्कृतिक विरासत को सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ केवल नव्य आधुनिकता का प्रतीक नहीं, बल्कि अवध की सांस्कृतिक आत्मा है. हरदोई सत्य और तप की भूमि है, रायबरेली साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा गौरवशाली क्षेत्र है, वहीं उन्नाव चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नायकों की कर्मभूमि रहा है. सीतापुर की धार्मिक गरिमा नैमिषारण्य से जुड़ी है, और लखीमपुर खीरी अपनी जैव विविधता और थारू संस्कृति के कारण विशिष्ट है.
विकास योजनाओं की समयबद्ध और नियमित समीक्षा अनिवार्य
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि मंडल के प्रत्येक जनपद में चल रही परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की जाए. समयबद्ध कार्ययोजना, सतत संवाद और फीडबैक की व्यवस्था ही समय पर और गुणवत्तापूर्ण विकास कार्यों की कुंजी है.
शहीदों के गांवों की सड़कों को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया कि शहीदों के गांवों और जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रों की सड़कों का निर्माण प्राथमिकता पर हो. साथ ही जिला मुख्यालयों को चार लेन, ब्लॉक मुख्यालयों को दो लेन से जोड़ने, आरओबी/आरयूबी, फ्लाईओवर, सिंगल कनेक्टिविटी और ब्लैक स्पॉट सुधार जैसे कार्यों को भी तेजी से पूरा किया जाए.
हर विधानसभा में एक पर्यटन स्थल विकसित होगा
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को निर्देश दिए कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पर्यटन स्थल का चयन कर, वहां सुविधाओं का विकास किया जाए. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के तहत पहले ही 1,000 से ज्यादा धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण किया जा चुका है.
परियोजनाओं में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी जरूरी
नगर विकास विभाग को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी विकास परियोजना का प्रस्ताव तैयार करने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों की राय और सहमति अवश्य ली जाए ताकि योजनाएं ज़मीनी हकीकत से जुड़ी और लाभकारी हों.
पारदर्शिता और समयबद्धता होगी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सभी योजनाओं पर पारदर्शी, समन्वित और समयबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाए. शिलान्यास और भूमिपूजन 15 सितंबर के बाद जनप्रतिनिधियों के कर-कमलों से कराए जाएं और उनके नाम शिलापट्ट पर अवश्य अंकित किए जाएं. साथ ही, कार्यों की मॉनिटरिंग निष्पक्ष और गुणवत्ता पूर्ण होनी चाहिए, किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.