CM ऑफिस तक पहुंचा मंत्री का गुस्सा, दो साल से फाइलें दबा रहे अफसर, नियम तोड़कर बंटा सरकारी फायदा

Prayagraj News: औद्योगिक मंत्री नंद गोपाल नंदी ने सीएम को पत्र लिखकर अफसरों पर दो साल से निर्देश न मानने, फाइलें गायब करने और नियमों को तोड़कर चहेतों को लाभ देने के गंभीर आरोप लगाए हैं. सीएम ने मामले की जांच के आदेश देते हुए पूरी रिपोर्ट तलब की है.

By Abhishek Singh | July 8, 2025 1:41 PM
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UP Latest News: औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक विस्तृत पत्र भेजकर अफसरशाही पर गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं. उन्होंने लिखा कि पिछले दो वर्षों से अधिकारी उनकी किसी भी फाइल संबंधी या प्रशासनिक निर्देशों को नजरअंदाज कर रहे हैं. मंत्री ने दावा किया कि अधिकारी उन्हें योजनाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी तक नहीं देते, जिससे सरकारी कार्यों में बाधा आ रही है और औद्योगिक परियोजनाओं की प्रगति प्रभावित हो रही है.

अफसरों पर आरोप: नियम तोड़कर दिए गए प्रस्ताव

मंत्री नंदी का आरोप है कि कुछ अधिकारियों ने पूरी तरह से नियमों और प्रक्रियाओं की अनदेखी करते हुए अपने स्तर पर ऐसे प्रस्तावों को स्वीकृति दी है, जो नीति के विरुद्ध हैं. ऐसे प्रस्तावों से कुछ खास व्यक्तियों और कारोबारी समूहों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है. यह न सिर्फ प्रशासनिक नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि इससे विभागीय पारदर्शिता पर भी आंच आई है. उन्होंने चेताया कि यदि यह रवैया नहीं बदला गया तो औद्योगिक निवेश की छवि भी प्रभावित हो सकती है.

गायब हो रही हैं फाइलें, हाईकोर्ट ने दी टिप्पणी

नंदी ने आरोप लगाया कि कई बार जब उन्होंने निर्देश दिया कि पुरानी फाइलें पेश की जाएं, तो अधिकारियों ने यह कहकर टाल दिया कि फाइलें “उपलब्ध नहीं हैं” या “खो गई हैं”. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक मामले में कार्यविभाजन से संबंधित निर्देशों की फाइल तीन साल से लापता है. इतना ही नहीं, समान परिस्थितियों में अलग-अलग निर्णय लेने के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट को भी सख्त टिप्पणी करनी पड़ी, जिसके बाद एक वरिष्ठ अधिकारी को पद से हटाया गया.

दो साल से फाइलों की हो रही अनदेखी

पत्र के अनुसार, मंत्री ने अक्टूबर 2023 में एक सूची सीएम कार्यालय को भेजी थी जिसमें उन फाइलों का उल्लेख था जिन्हें बार-बार मांगने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराया गया. 29 अक्टूबर को मुख्यमंत्री कार्यालय ने निर्देश दिए थे कि एक सप्ताह के भीतर सभी फाइलें पेश की जाएं, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. इससे यह स्पष्ट होता है कि विभागीय अधिकारी निर्देशों को लेकर कितने लापरवाह और मनमाने रवैये से काम कर रहे हैं.

सीएम ने तलब की पूरी रिपोर्ट

मंत्री के इन गंभीर आरोपों को हल्के में न लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. सूत्रों के अनुसार अब वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम मंत्री के लगाए गए आरोपों का जवाब तैयार कर रही है और यह तय किया जा रहा है कि यदि आरोप सही पाए गए तो दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी. यह पूरा घटनाक्रम प्रशासनिक कार्यप्रणाली और पारदर्शिता के मानकों पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रहा है.

यह मामला मंत्री और अफसरशाही के बीच बढ़ते टकराव को सामने लाता है, जिससे न केवल नीति निर्माण बल्कि निवेश माहौल भी प्रभावित हो सकता है.

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