अगला कदम: आरक्षण प्रक्रिया की तैयारी शुरू, सितंबर-अक्तूबर में शुरू होने की संभावना
पुनर्गठन के बाद अगला चरण पदों के आरक्षण निर्धारण का है. इसमें ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य जैसे प्रमुख पदों पर विभिन्न वर्गों के लिए सीटों का आरक्षण तय किया जाएगा. हालांकि अधिकारिक प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर से शुरू होने की संभावना है, लेकिन विभागीय अधिकारी पहले से ही मंथन शुरू कर चुके हैं. इसकी तैयारी में भूगोल, सामाजिक समीकरण और पिछली आरक्षण स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है, ताकि आरक्षण में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके.
वार्ड निर्धारण जल्द, मांगे जाएंगे आपत्तियां और सुझाव
आरक्षण से पहले की अहम प्रक्रिया में अब वार्डों के पुनर्निर्धारण की बारी है. हर ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत में जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के अनुसार वार्ड बनाए जाएंगे. इस प्रक्रिया के तहत आम नागरिकों से आपत्तियां और सुझाव भी मांगे जाएंगे ताकि सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके. सरकार की योजना है कि यह प्रक्रिया जन सहभागिता और पारदर्शिता के साथ पूरी की जाए ताकि किसी वर्ग या क्षेत्र के साथ अन्याय न हो.
ओबीसी आरक्षण तय करने में लगेगा समय, आयोग गठन के बाद तीन महीने की देरी संभव
ओबीसी आरक्षण को लेकर सबसे बड़ी बाधा यह है कि अभी तक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन नहीं हुआ है. आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा किया जाना है, लेकिन इसमें कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि आयोग के गठन में ही कई सप्ताह का समय लग सकता है और गठन के बाद भी उसे आरक्षण तय करने में कम से कम तीन महीने लगेंगे. ऐसे में पूरे आरक्षण की प्रक्रिया अक्टूबर तक ही शुरू हो सकेगी, जिससे चुनाव कार्यक्रम में भी बदलाव संभव है.
पुरानी नियमावली और 2011 की जनगणना बनेगी आरक्षण का आधार
आरक्षण तय करने के लिए 2011 की जनगणना और पूर्ववर्ती आरक्षण नियमावली को ही आधार बनाया जाएगा. यद्यपि 2021 में चुनाव हुए थे, लेकिन नई जनगणना न होने के कारण सरकार को पुराने आंकड़ों का ही सहारा लेना पड़ रहा है. इसका सीधा प्रभाव यह होगा कि कई पंचायतों में पिछली बार आरक्षित रही सीटें इस बार सामान्य हो सकती हैं, जबकि कुछ नई पंचायतों में पहली बार आरक्षण लागू होगा. यह बदलाव आगामी चुनाव में राजनीतिक समीकरणों को बदल सकते हैं.
आरक्षित सीटों का नया आंकड़ा : OBC के लिए 27%, SC के लिए 20.69%
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 27% सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए, 20.69% अनुसूचित जाति (SC) और 0.56% अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित होंगी. इसके अलावा, इन सभी वर्गों की महिलाओं के लिए कुल आरक्षित सीटों में से 33% हिस्सेदारी तय की गई है. इसका मतलब है कि महिलाओं को भी पंचायत सत्ता में व्यापक भागीदारी मिलेगी. यह आरक्षण न केवल सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा, बल्कि महिलाओं और वंचित तबकों को स्थानीय प्रशासन में निर्णायक भूमिका देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.