“शिखर सपना ही रहेगा, केशव! लठैतों की बात करने वालों को अखिलेश का झन्नाटेदार तमाचा”

UP POLITICS: डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सपा को "लठैतवाद की पार्टी" बताया, जिस पर अखिलेश यादव ने तीखा पलटवार किया. उन्होंने कहा, "केशव मौर्य कितना भी ऊंचा दिखा लें, शिखर नहीं मिलेगा." अखिलेश ने बीजेपी पर झूठ और नफरत की राजनीति का भी आरोप लगाया.

By Abhishek Singh | May 24, 2025 7:55 PM
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UP POLITICS: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए ‘लठैतवाद’ वाले बयान पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखा पलटवार किया है. अखिलेश ने कहा कि “कितनी भी कोशिश कर लो, शिखर नहीं मिलेगा.”

केशव मौर्य का बयान: “सपा लठैतवाद की पार्टी है”

हाल ही में एक जनसभा के दौरान डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि सपा “लठैतवाद की पार्टी” है और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने वाली मानसिकता रखती है. उन्होंने यह भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज है और अब ऐसे तत्वों के लिए कोई जगह नहीं है.

अखिलेश यादव का जवाब: “लोगों का भरोसा खो चुकी है बीजेपी”

अखिलेश यादव ने एक प्रेस बयान में या सोशल मीडिया पोस्ट में (जहां से खबर आई है) पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं को अब “जनता की समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए झूठे बयान देने पड़ रहे हैं.” उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि जनता अब उनकी नफरत और झूठ की राजनीति को पहचान चुकी है.

“कितनी भी कोशिश कर लो, शिखर नहीं मिलेगा” – अखिलेश

अखिलेश ने अपने तीखे लहजे में कहा:

केशव मौर्य को कितना भी ऊंचा दिखा दिया जाए, उन्हें शिखर नहीं मिलेगा। लोग उनका नाम अब बतौर डिप्टी सीएम भी नहीं याद रखते।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि केशव मौर्य सिर्फ टीवी और अखबारों में बयानबाज़ी कर सकते हैं, लेकिन जमीन पर उनकी कोई पकड़ नहीं बची है.

लोकसभा चुनाव और जातीय समीकरणों का दबाव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के भीतर जातीय समीकरणों को लेकर तनाव बढ़ा है. खासकर पिछड़ा वर्ग और दलित वोट बैंक को लेकर पार्टी के अंदर कई नेता असंतुष्ट हैं. केशव मौर्य की बयानबाज़ी को उसी असंतोष और दबाव का नतीजा बताया जा रहा है.

सियासी गर्मी और बयानबाज़ी का दौर जारी

उत्तर प्रदेश में आगामी निकाय चुनावों और 2027 विधानसभा चुनावों को देखते हुए नेताओं की बयानबाज़ी तेज़ हो गई है. केशव मौर्य के बयान और अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया से साफ है कि सियासी जंग अब सीधे लहजे में लड़ी जा रही है, जिसमें व्यक्तिगत टिप्पणियों और पुराने आरोपों को फिर से उछाला जा रहा है.

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