वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव-पार्वती के विवाहोत्सव की तैयारियां पूरी, विधि विधान से होगा विवाह
महाशिवरात्रि पर शिव को दूल्हा और गौरी को दुल्हन बनाने की तैयारी जोर शोर से चल रही हैं. उनके विवाह की रस्म आज श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में रात की चार पहर की आरती में परंपरागत तरीके से संपन्न होगी.
By Prabhat Khabar News Desk | March 1, 2022 6:48 PM
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महादेव और माता पार्वती के विवाहोत्सव को लेकर तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई हैं. बाबा विश्वनाथ के सेहरे की सजावट के लिए फुलों , रुद्राक्ष और मेवे की लड़िया पिरोई जा रही हैं. उनके विवाह की रस्म आज श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में रात की चार पहर की आरती में परंपरागत तरीके से संपन्न होगी. इस परंपरा का निर्वहन बाबा के दरबार में सप्तऋषि आरती करने वाले अर्चक करते हैं.
महाशिवरात्रि पर शिव को दूल्हा और गौरी को दुल्हन बनाने की तैयारी जोर शोर से चल रही हैं. यह तैयारियां वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर हो रही हैं. महंत आवास को रंग बिरंगी झालरों और फूलों से सजाया जा रहा है. खास अवसर के लिए शिव और पार्वती के लिए विशेष परिधान तैयार कराए गए हैं.
दूल्हा बनने वाले भगवान शिव के सिर पर मेवे का सेहरा सजेगा, तो वहीं देवी पार्वती गुजरात का लहंगा धारण कर विवाह मंडप में विराजमान होंगी. सप्तऋषि आरती के प्रधान अर्चक पंडित शशिभूषण त्रिपाठी उर्फ गुड्डू महाराज ने बताया कि बाबा के विवाहोत्सव की तैयारियां पूरी हो गई है. बाबा फूल, फल, रुद्राक्ष और मेवा का सेहरा पहनेंगे. बाबा का सेहरा विशेष रूप से तैयार किया गया है. पहले पहर की आरती रात 10:50 बजे शुरू होकर 12:30 बजे संपन्न होगी.
दूसरे पहर की आरती मध्य रात्रि के बाद 1:20 बजे शुरू होकर 2:30 बजे संपन्न होगी. तीसरे पहर की आरती भोर 3 बजे से शुरू होकर 4:25 बजे संपन्न होगी. चौथे पहर की आरती सुबह 5 बजे शुरू होगी और 6:15 बजे संपन्न होगी. गुड्डू महाराज ने बताया कि पहले पहर की आरती में द्वार पूजा, दूसरे पहर की आरती में जयमाल, तीसरे पहर की आरती में सिंदूर दान और चौथे पहर की आरती में विदाई की रस्म संपन्न होगी.
इसके बाद बुधवार को नित्य की तरह पूजन-आरती जारी रहेगी और और रात में बाबा की शयन आरती होगी. पूरे पूजन-अनुष्ठान में करीब 11 कुंतल फल, 2 मन मेवा, फलों की माला, इलायची की माला, मेवे की माला, रुदाक्ष का सेहरा, आंवला, अमावट, सोना-चांदी, इत्र, गुलाब जल, धोती, साड़ी, मंगलसूत्र, अबीर बुक्का, 11 प्रकार की मिठाई, ठंडई और भांग अर्पित किया जाएगा.
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