लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथ से अयोध्या जैसी महत्वपूर्ण सीट छीनने वाले अवधेश प्रसाद, जो 2022 में मिल्कीपुर से विधाय थे, लेकिन सांसद बनने के बाद से यह सीट खाली हो गई थी. अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जो प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा और भाजपा दोनों ही पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं. बीजेपी ने इस बार मंत्रियों की पूरी फौज उतार दी है.
मतदाताओं में दिख रहा भारी उत्साह
मिल्कीपुर उपचुनाव स्थानीय राजनीति के साथ-साथ यूपी के सियासत के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मिल्कीपुर के लोग यह चुनाव सिर्फ एक विधायक के चयन के रूप में नहीं देख रहे हैं, बल्कि यह चुनाव उनके भविष्य और प्रदेश की राजनीति में एक नए मोड़ का संकेत हो सकता है. बात दें कि 2027 में यूपी का चुनाव होना है.
क्या है मिल्कीपुर सीट का सियासी गणित
अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख 70 हजार मतदाता हैं और इस बार के उपचुनाव में यहां से 10 उम्मीदवार मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी से अजित प्रसाद और बीजेपी से चंद्रभान पासवान चुनावी मैदान में हैं. वहीं बीएसपी ने उपचुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. मिल्कीपुर विधानसभा सीट एक आरक्षित सीट है.बीएसपी भले इस चुनाव में नहीं उतरी हो लेकिन बीएसपी का परंपरागत वोटर्स यहां जीत-हार में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. इस सीट पर दलित वोटर्स अधिक संख्या में हैं और जिस तरफ इनका झुकाव रहा उनका जीतना लगभग तय है