पांच वर्षों में मेट्रो के रख-रखाव के लिए 28 करोड़ आवंटित

रेल मंत्री ने सदन को बताया कि पिछले पांच वर्षों में कोलकाता मेट्रो के विभिन्न स्टेशनों, प्लेटफार्मों, लाइनों और शेडों के रखरखाव के लिए 28 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं.

By AKHILESH KUMAR SINGH | August 1, 2025 1:15 AM
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संवाददाता, कोलकाता

हाल ही में कोलकाता मेट्रो सेवा को लेकर विभिन्न कारणों से कई बार सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में तृणमूल सांसद माला राय ने संसद में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से सवाल किया कि पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार ने कोलकाता मेट्रो के रखरखाव पर कितना पैसा खर्च किया है? रेल मंत्री ने प्रश्न का लिखित उत्तर दिया है. उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में कोलकाता मेट्रो के विभिन्न स्टेशनों, प्लेटफार्मों, लाइनों और शेडों के रखरखाव के लिए 28 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. कोलकाता दक्षिण से तृणमूल सांसद माला ने अपने प्रश्न में पिछले पांच वर्षों का अलग-अलग हिसाब मांगा था. लेकिन रेल मंत्री ने लिखित उत्तर में वर्षवार हिसाब नहीं दिया. रेल मंत्री ने यह लिखित उत्तर 23 जुलाई को संसद में दिया था. इसके बाद ही गत सोमवार को कवि सुभाष मेट्रो स्टेशन के अप प्लेटफॉर्म के खंभों में दरारें देखी गयीं, जिसके कारण उस स्टेशन पर ट्रेन सेवाएं रोक दी गयी हैं. अधिकारियों ने कहा है कि पूरे स्टेशन की मरम्मत और सेवाएं शुरू करने में नौ महीने लग सकते हैं. परिणामस्वरूप कवि सुभाष अब उत्तर-दक्षिण शाखा का सीमांत स्टेशन नहीं रहा. अब सीमांत स्टेशन शहीद खुदीराम है.

हालांकि मेट्रो अधिकारियों ने हमेशा दावा किया है कि वे नियमों के अनुसार समय-समय पर रखरखाव करते हैं. पर्यवेक्षण भी किया जाता है. रेल मंत्री ने अपने लिखित उत्तर में कुछ और जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 1972 में कोलकाता में मेट्रो का काम शुरू होने के बाद से महानगर में 69 किलोमीटर लाइनें बिछायी जा चुकी हैं. इनमें से 1972 से 2014 तक 42 वर्षों में 28 किलोमीटर लाइनें बिछायी गयीं. इनमें से अधिकांश समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही, जिसके लिए 5,981 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया. 2014 से 2025 तक यानी नरेंद्र मोदी के शासनकाल में 11 वर्षों में मेट्रो में 41 किलोमीटर लाइनें बिछायी गयीं. इसकी लागत 25,593 करोड़ रुपये थी. रेल मंत्री ने बताया कि कोलकाता में 56 किलोमीटर और लाइनें बिछाने की योजना है. इसमें से 20 किलोमीटर का काम भूमि अधिग्रहण के मुद्दों और राज्य सरकार के असहयोग के कारण अटका हुआ है.

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