संवाददाता, कोलकाता
बैंक राष्ट्रीयकरण की 56वीं वर्षगांठ पर एआइबीओसी पश्चिम बंगाल राज्य इकाई की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर यूनियन की ओर से दो टैब्लो का उद्घाटन किया गया, जिसके माध्यम से बैंकों के राष्ट्रीयकरण के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया. वहीं, शनिवार को बऊबाजार मोड़ पर यूनियन की ओर से नुक्कड़ सभा आयोजित की गयी, जिसमें विभिन्न बैंक यूनियन के नेताओं ने बैंक राष्ट्रीयकरण से संबंधित विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया. इस मौके पर एआइबीओसी के शुभज्योति चट्टोपाध्याय, कृष्णेंदु मुखर्जी, संजय दास सहित अन्य नेता उपस्थित रहे. कार्यक्रम की शुरुआत बैंक राष्ट्रीयकरण के ऐतिहासिक संदर्भों को साझा करते हुए की गयी. वक्ताओं ने 1969 में तत्कालीन सरकार द्वारा लिए गए साहसिक निर्णय को गरीबों, किसानों, मजदूरों और छोटे व्यवसायियों की आर्थिक स्वतंत्रता की नींव बताया.
यूनियन नेताओं ने कहा कि बैंक राष्ट्रीयकरण ने बैंकों को अमीरों की चौखट से निकाल कर गरीबों की चौपाल तक पहुंचाया. आज यह केवल एक नीति नहीं, बल्कि करोड़ों आम लोगों के आर्थिक सपनों की सुरक्षा है. यदि यह नींव हिली, तो सामाजिक न्याय की पूरी इमारत डगमगा जाएगी. हमें निजीकरण के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करनी होगी. यूनियन के एक अन्य नेता ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों ने दशकों तक देश की अर्थव्यवस्था को हर संकट में संभाला है. चाहे वह कृषि संकट हो, महामारी या नोटबंदी. बैंककर्मी सिर्फ कर्मचारी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाने वाले सैनिक हैं.
कार्यक्रम के अंत में सभी बैंककर्मियों ने सामूहिक रूप से यह संकल्प लिया कि वे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रक्षा, सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति, और आम जनता की सेवा के लिए संगठित, जागरूक और सक्रिय रहेंगे.
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