केएमसी को अपवाद बताकर अन्य निगमों में भेदभाव का आरोप
कहा- अनुकंपा नियुक्ति में नहीं होना चाहिए भेदभाव
कोलकाता. राज्य के नगर निगमों में अनुकंपा के आधार पर स्थायी नियुक्ति बंद होने को लेकर इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) के विधायक नौशाद सिद्दीकी ने राज्य सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. उन्होंने मंगलवार को विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) में तो अनुकंपा पर नियुक्ति दी जा रही है, लेकिन हावड़ा सहित अन्य नगर निगमों में इसे क्यों बंद कर दिया गया है?
उन्होंने सवाल किया कि क्या एक ही राज्य में अलग-अलग नियम लागू होंगे? उन्होंने कहा कि सेवा के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिवार को राहत देने के लिए देश के अधिकतर राज्यों में सभी विभागों में अनुकंपा पर नियुक्ति दी जाती है. ऐसे में पश्चिम बंगाल के अन्य नगर निगमों में भी केएमसी की तरह यह व्यवस्था बहाल होनी चाहिए.
315 से अधिक मौतों के बाद भी एक भी स्थायी नियुक्ति नहीं : नौशाद सिद्दीकी ने कहा कि वे इस विषय को आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा में उठायेंगे. उन्होंने शहरी विकास एवं नगरपालिका मामलों के मंत्री तथा केएमसी के मेयर फिरहाद हकीम से अनुरोध किया है कि वे इस पर ध्यान दें और अन्य निगमों में भी केएमसी की तर्ज पर अनुकंपा नियुक्ति शुरू करें.
सूत्रों के अनुसार, हावड़ा नगर निगम में वर्ष 2012 के बाद से अब तक सेवा के दौरान 315 से अधिक कर्मचारियों की मृत्यु हुई है, लेकिन इनमें से किसी एक के परिजन को भी स्थायी नियुक्ति नहीं दी गयी. केवल अस्थायी नियुक्तियों के माध्यम से काम चलाया जा रहा है. वर्तमान में हावड़ा नगर निगम में अनुकंपा पर नियुक्त अस्थायी कर्मचारियों की संख्या लगभग 315 है. इनमें से अधिकांश को हर माह मात्र आठ से दस हजार रुपये का वेतन मिल रहा है, जिससे वे आर्थिक संकट में जीवन गुजारने को मजबूर हैं.
स्थानीय कर्मियों का कहना है कि हावड़ा ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य नगर निगमों और पालिकाओं में भी यही स्थिति है, जहां तृणमूल सरकार ने अनुकंपा नियुक्तियों को लंबे समय से रोक रखा है. वर्तमान में हावड़ा नगर निगम में स्थायी से अधिक अस्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनसे कम वेतन पर पूरे समय काम कराया जा रहा है.
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