उन्होंने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जिन बातों के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया. आज उनका जन्म स्थान बंगाल राजनीतिक हिंसा और अपराधीकरण का स्थल बन गया है. कटमनी की बात हो रही है. कटमनी की बात करने वाले नेताओं को कट करना होगा.
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उन्होंने कहा कि बंगाल कभी देश को दृष्टि देता था. कहा जाता था कि बंगाल जो आज सोचता है, देश बाद में सोचता है, लेकिन आज शिक्षा हो या अन्य मसला बंगाल की स्थिति को देख कर दिल द्रवित हो जाता है. शिक्षा का राजनीतिकरण हुआ है. आज शैक्षणिक संस्थाओं में राजनीति के आधार पर नियुक्तियां हो रही हैं. राजनीति की जा रही है. बंगाल के शिक्षा को बदलना होगा.
उन्होंने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने विचार के खातिर पद को महत्व नहीं दिया, लेकिन बंगाल में जो आज का नेतृत्व है, वह पद के लिए हर तरह से समझौता कर रहा है. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने क्षेत्रीयता और राष्ट्रवाद को समान महत्व दिया था, लेकिन वर्तमान की बंगाल की मुख्यमंत्री संघीय ढांचा का भी पालन नहीं कर रही हैं.
कोरोना (Coronavirus) मामले पर भी केंद्र सरकार को रिपोर्ट नहीं देती हैं. आयुष्मान भारत (Ayushman india) जैसी योजना को बंगाल में लागू नहीं किया जाता, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं इससे प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को श्रेय मिल जायेगा.
Posted By : Samir ranjan.