नयी समिति में प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय और प्राथमिक शिक्षा बोर्ड से एक-एक विशेषज्ञ शामिल होंगे
कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में ””गलत प्रश्न”” पूछे जाने के आरोपों के मामले में एक नयी समिति का गठन किया है. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने इस मामले में एक समिति का गठन किया था. लेकिन कुछ प्रश्नों को लेकर समिति के सदस्यों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया था. परिणामस्वरूप, समिति अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच सकी. इसलिए, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक नई समिति का गठन किया.
गौरतलब है कि 2017 और 2022 की टीईटी में 47 प्रश्न ””””गलत”””” पूछे जाने का आरोप लगाते हुए एक मामला दायर किया गया था. उस मामले की सुनवाई के दौरान, पिछले साल अगस्त में, न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति प्रसेनजीत विश्वास की तत्कालीन खंडपीठ ने एक समिति किया था. समिति को गलत प्रश्नों के आरोपों का सत्यापन करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. हालांकि, उस समिति के सदस्यों के बीच असहमति के कारण, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने शुक्रवार को एक नई समिति के गठन का आदेश दिया. नई समिति में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय और प्राथमिक शिक्षा बोर्ड से एक-एक विशेषज्ञ शामिल होंगे. न्यायमूर्ति सौमेन सेन की खंडपीठ ने कहा कि समिति यह सत्यापित करेगी कि प्रश्नों में गलतियां थीं या नहीं. समिति को यह बताना होगा कि कितने प्रश्न गलत थे और इसके सही उत्तर क्या होंगे.
गौरतलब है कि इससे पहले हाइकोर्ट द्वारा गठित समिति में विश्वभारती विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय और बोर्ड के विशेषज्ञ शामिल थे. इस मामले में बोर्ड ने दावा किया था कि वे स्वयं मामले की जांच करने में सक्षम हैं. लेकिन अदालत ने बोर्ड के दावों को खारिज करते हुए समिति का गठन किया था.
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