बंगाल में जब ममता बनर्जी ने रतन टाटा के खिलाफ किया था विरोध प्रदर्शन
मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम मोर्चा ने 2006 में नैनो कार विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए सिंगूर में टाटा समूह के लिए 1,000 एकड़ जमीन के बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की घोषणा की थी. इस कदम को राज्य में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा गया था. हालांकि, इसके बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व में सिंगूर में एक आंदोलन शुरु हुआ जिसमें उन्होंने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था और इसे किसानों को वापस देने की मांग की थी.
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रतन टाटा की वापसी के लिये ममता बनर्जी ने की थी भूख हड़ताल
नैनो संयंत्र के निमार्ण का कार्य बंगाल में शुरु हो चुका था. वाम मोर्चा को उम्मीद थी कि बंगाल एक औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरेगा. इसके बाद बनर्जी ने 26 दिनों की भूख हड़ताल शुरू की. इस आंदोलन ने ममता बनर्जी की जिदंगी में बदलाव ला दिया. कंपनी ने 3 अक्टूबर 2008 को इसकी आधिकारिक घोषणा की. बाद में टाटा मोटर्स को गुजरात में शिफ्ट किया गया जिसके लिये गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र माेदी ने आमंत्रित किया था.
रतन टाटा ने कहा था,हम टूटी दीवारों के साथ प्लांट नहीं चला सकते
रतन टाटा ने बंगाल से वापसी का मुख्य कारण ममता बनर्जी के सिंगूर आंदोलन को बताया और कहा, आप पुलिस सुरक्षा के साथ एक संयंत्र नहीं चला सकते,हम टूटी दीवारों के साथ प्लांट नहीं चला सकते. हम बम फेंककर कोई परियोजना नहीं चला सकते.
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