कोलकाता में तीन संस्थानों में शुरू हुई पायलट योजनाअमर शक्ति,कोलकातामहानगर स्थित मेडिकल कॉलेज व अन्य संस्थानों में अब रसोई के कचरे से बायोगैस बनाने की योजना शुरू की गयी है और इस बायोगैस को ही उक्त संस्थानों की कैंटीन में खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जायेगा. इसे लेकर राज्य के तीन संस्थानों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जहां रसोई के कचरे से बायोगैस तैयार किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, महानगर स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज, कलकत्ता पावलोव अस्पताल और आद्यापीठ अन्नदा पॉलिटेक्निक कॉलेज ने अपनी कैंटीन चलाने के लिए रसोई के कचरे को बायोगैस में बदलने वाली पायलट परियोजना शुरू की है. बताया गया है कि यह पहल ईंधन की लागत को बचाने और हानिकारक उत्सर्जन को कम करने में सफल साबित हो रही है. इन तीनों परियोजनाओं को राज्य सरकार के पश्चिम बंगाल अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और कलकत्ता पावलोव अस्पताल में बायोगैस संयंत्र 25 मार्च को स्थापित किया गया था, जहां की कैंटीन की रसोई में रोजाना कम से कम 250 किलोग्राम कचरा निकलता है. इसी कचरे से बायोगैस का उत्पादन किया जा रहा है. बताया गया है कि विभाग द्वारा बायोगैस संयंत्र का अगले पांच साल तक रखरखाव किया जायेगा. वहीं, आद्यापीठ अन्नदा पॉलिटेकनिक कॉलेज में बायोगैस संयंत्र इसी महीने लगाया गया है और इन तीनों परियोजनाओं पर कुल मिलाकर लगभग 50 लाख रुपये की लागत आयी है.
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