Home पश्चिम-बंगाल कोलकाता कोलकाता पर कब्जा करने की टिप्पणी को एनएसजी के पूर्व अधिकारी दीपांजन चक्रवर्ती ने हास्यास्पद बताया

कोलकाता पर कब्जा करने की टिप्पणी को एनएसजी के पूर्व अधिकारी दीपांजन चक्रवर्ती ने हास्यास्पद बताया

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कोलकाता पर कब्जा करने की टिप्पणी को एनएसजी के पूर्व अधिकारी दीपांजन चक्रवर्ती ने हास्यास्पद बताया

कोलकाता. बांग्लादेश का माहौल अशांत है. वहां अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोगों पर हमले हो रहे हैं. इतना ही नहीं, वहां के चरमपंथियों के बयानबाजी से उन घटनाओं को और हवा मिल रही है. इसी बीच, बांग्लादेश के सेवानिवृत्त मेजर शरीफ ने विवादस्पद बयान दिया है. उन्होंने मीडिया के समक्ष कहा कि “भारत ही नहीं,अमेरिका भी उनके सामने टिक नहीं सकता. बांग्लादेश के पास 30 लाख छात्र हैं, जो उनके साथ खड़े हैं. अगर जरूरत पड़ी तो बांग्लादेश चार दिनों में कोलकाता पर कब्जा कर सकता है. कोई भी ताकत हमें नहीं रोक सकती है.” इस टिप्पणी राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के पूर्व अधिकारी दीपांजन चक्रवर्ती ने हास्यास्पद करार दिया है. उन्होंने रविवार को एक निजी चैनल से बातचीत में बांग्लादेशी सेना के पूर्व मेजर की टिप्पणी को लेकर कहा कि “कोलकाता तो बहुत दूर है, यदि हिम्मत है तो पहले सरहद पर भारत की धरती पर कदम रख कर दिखाएं. उन्हें सच्चाई खुद ही पता चल जायेगी. बांग्लादेश के बुजुर्ग व पुराने लोग ये बातें कह रहे हैं. उनके शरीर में जो पेसमेकर लगे हैं, वे भी कोलकाता से लगवाये गये हैं. सबसे पहले, पेसमेकर हटाएं और उन्हें वापस करके बातें करें. अफगानिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी, जिसने आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया. उसके बाद अफगानिस्तान का क्या हाल हुआ, इसे बांग्लादेश के चरमपंथियों को याद रखना चाहिए.”

कुणाल घोष ने भी की विवादास्पद टिप्पणी की आलोचना

चार दिनों में कोलकाता पर कब्जा करने की टिप्पणी की पूर्व सांसद व तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि “बांग्लादेश में कुछ ऐसे चरमपंथी हैं, जो भड़काऊ बयानबाजी करके माहौल को और अशांत करने में जुटे हैं. हालांकि, उनकी बेतुकी टिप्पणियों से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. वैसे लोगों को संभवत: यह भी याद नहीं कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उठाये गये कदम के बाद ही ‘बांग्लादेश’ नया देश बन पाया.. बांग्लादेश के मौजूदा हालात को लेकर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है.”

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