दीघा. राज्य सरकार द्वारा दीघा में लगभग एक किलोमीटर लंबे रथ यात्रा मार्ग पर बैरिकेड लगाकर श्रद्धालुओं को सड़क पर आने से रोकने के फैसले पर कई लोगों ने नाराजगी व्यक्त की. हालांकि, कुछ श्रद्धालुओं ने प्रशासन की इस व्यवस्था को सही ठहराया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दीघा में मौजूद थीं. उन्होंने पहले घोषणा की थी कि बैरिकेड्स के पीछे खड़े लोगों को सड़क पर आये बिना रथ की रस्सियों को छूने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा था कि बैरिकेड्स के साथ रस्सियां होंगी जिन्हें श्रद्धालु भीतर से छू सकेंगे. उत्तर दिनाजपुर के गंगारामपुर से आये नयन मंडल ने कहा कि वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ रथ खींचने या कम से कम रस्सी छूने आए थे, लेकिन बांस के सहारे लगी रस्सी छूना प्रत्यक्ष दर्शन का विकल्प नहीं हो सकता. नादिया के तेहट्ट से आये राजू दास ने कहा कि अगर दीघा को पुरी की तरह बनाना है तो दर्शन के बेहतर इंतजाम किए जाने चाहिए थे. पश्चिम बर्दवान के अंडाल से आये पर्यटक तपन मंडल ने भी व्यवस्थाओं से निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हमें कल यहां पहुंचने के बाद ही इन व्यवस्थाओं के बारे में पता चला. मुझसे ज्यादा मेरी बेटी निराश है. हम बस यही चाहते हैं कि अगले साल से आम श्रद्धालुओं के लिए भी कुछ योजना बनायी जाए. वहीं, कोलकाता के मानिकतला से आए दुलाल चंद्र घोष ने स्थानीय प्रशासन से स्पष्ट जानकारी न मिल पाने और सुरक्षा कर्मियों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने के कारण ठीक से प्रभु के दर्शन न कर पाने की शिकायत की. हालांकि, कोन्ननगर से आए बप्पा सरकार ने कहा कि प्रशासन ने रस्सियां बैरिकेड्स के साथ रखकर अच्छा कदम उठाया है, जिसे छूकर लोग सहभागी महसूस कर सकते हैं. उनकी पत्नी ने कहा कि बैरिकेड्स के बावजूद दर्शन कर सकेंगे और इतनी भीड़ के बीच यह एहतियात जरूरी था. जमशेदपुर से आयीं रेखा शर्मा ने कहा कि उन्होंने सुबह भगवान के दर्शन किए और अब रस्सी को छूकर ही संतुष्ट हो जाएंगी. उन्होंने कहा, “शुक्रवार सुबह मंदिर में भगवान के दर्शन करके हमें बहुत खुशी हुई. हमें बैरिकेड्स के पास खड़े होने और दूर से रस्सियों को छूने की व्यवस्था में कोई आपत्ति नहीं है. दीघा में हुई इस पहली रथ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आयी है. कुछ लोग व्यवस्था से संतुष्ट दिखे, तो कुछ ने बेहतर प्रबंधों की उम्मीद जतायी.
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