संवाददाता, कोलकाता
पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबीजेइइ) के परिणाम अब तक घोषित नहीं हुए हैं. ओबीसी आरक्षण को लेकर कानूनी अड़चनों के चलते राज्य के इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, वास्तुकला और फार्मेसी पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया ठप पड़ी है. इसके कारण छात्रों के साथ-साथ राज्य के शैक्षणिक संस्थानों और सरकार को भी नुकसान हो सकता है.
प्रतिभा पलायन और सीटें खाली रहने का खतरा : जादवपुर विश्वविद्यालय के निर्माण इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर पार्थ प्रतिम विश्वास के अनुसार, कई छात्र राज्य से बाहर चले गये हैं, जिससे प्रतिभा पलायन हो रहा है. इससे न केवल जेयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की सीटें खाली रह जायेंगी, बल्कि राज्य सरकार को प्रति छात्र सीट आरक्षित करने में होने वाला खर्च भी बेकार जायेगा.
शिक्षा वर्ष पिछड़ने की आशंका
2024-25 सत्र में पहले ही प्रवेश प्रक्रिया लंबी चली थी और इस बार अब तक परिणाम जारी नहीं हुआ है. शिक्षा विशेषज्ञों को आशंका है कि यदि देरी जारी रही, तो इस बार काउंसलिंग प्रक्रिया दिसंबर तक टल सकती है, जिससे कक्षाओं की शुरुआत भी देर से होगी. उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष चिरंजीव भट्टाचार्य ने चेतावनी दी कि अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश ले चुके छात्र राज्य के बाहर ही रह जायेंगे, जिससे राज्य की मेरिट स्थिति कमजोर हो सकती है.
नौकरी बाजार पर असर का अंदेशा
चिरंजीव भट्टाचार्य का कहना है कि जो छात्र उच्च मेरिट सूची में हैं, वे अन्य राज्यों में दाखिला ले चुके हैं. यदि राज्य में निचली रैंक वाले छात्र ही बचते हैं, तो संस्थानों की गुणवत्ता और रोजगार बाजार पर विपरीत असर पड़ेगा. प्रोफेसर पार्थ प्रतिम विश्वास के मुताबिक, वर्तमान में इंजीनियरिंग से केवल 20-30 प्रतिशत छात्र ही नौकरी के लिए उपयुक्त होते हैं, ऐसे में देर से दाखिला मिलने पर उनके लिए बेहतर नौकरी पाने की संभावनाएं और घट जायेंगी.
इधर कई निजी संस्थानों ने ””””प्रोविजनल एडमिशन”””” की आड़ में दाखिला प्रक्रिया तो शुरू कर दी है, लेकिन किसी भी संस्थान में कक्षाएं शुरू नहीं हुई हैं. छात्र अब भी डब्ल्यूबीजेइइ बोर्ड के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं.
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