एक दोषी की फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदली कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2021 के बलात्कार और हत्या के एक मामले में एक व्यक्ति की मृत्युदंड और एक महिला की आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी करने का आदेश दिया, जबकि एक अन्य दोषी की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. उच्च न्यायालय ने गुरुवार को यह फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष दोनों के खिलाफ अपराध साबित करने में विफल रहा है. पश्चिम मेदिनीपुर जिले की एक सत्र अदालत ने तीन मई, 2021 को एक युवती से बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी पाते हुए राजमिस्त्री विकास मुर्मू और छोटू मुंडा को 25 जुलाई, 2023 को मृत्युदंड तथा मजदूर ताप्ती पात्रा को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष द्वारा उनके खिलाफ मामला साबित नहीं कर पाने के बाद छोटू मुंडा और ताप्ती पात्रा को सभी आरोपों से बरी कर दिया. पीठ ने विकास मुर्मू की मौत की सजा को उसकी गिरफ्तारी की तारीख से 40 साल तक बिना किसी छूट के आजीवन कारावास में बदल दिया. निचली अदालत ने तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 448 (घर में जबरन प्रवेश), 376डी (सामूहिक बलात्कार), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 302 (हत्या) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था. पीठ ने धारा 302 (हत्या) के तहत दंडनीय अपराध के लिए बिकास मुर्मू और छोटू मुंडा को मौत की सजा सुनाई थी. एक व्यक्ति ने तीन मई, 2021 को पिंगला थाने में शिकायत दर्ज करायी थी कि उसकी बेटी उसके आवास से सटे पुराने मकान में खून से लथपथ और आपत्तिजनक हालत में मृत पायी गयी थी. घटना के वक्त घर में मरम्मत का काम हो रहा था. तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर उन पर सामूहिक बलात्कार एवं हत्या का आरोप लगाया गया. तीनों वहां राजमिस्त्री और मजदूर के रूप में काम कर रहे थे. तीनों अपीलकर्ताओं ने आरोपों से इनकार किया था. पीठ ने फोरेंसिक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि विकास मुर्मू की बनियान में उसका और पीड़िता का खून लगा था. खंडपीठ ने कहा कि छोटू मुंडा ने जो कपड़े पहने थे उस पर खून के धब्बे नहीं थे और न ही उन पर कोई अन्य फोरेंसिक साक्ष्य मौजूद थे. अपीलकर्ता ताप्ती पात्रा ने कहा था कि वह घटना के वक्त शिकायतकर्ता के घर में मौजूद थी और काम कर रही थी, जिसकी बेटी से बलात्कार हुआ था और उसकी हत्या कर दी गई थी. उसने अपनी गवाही में यह भी कहा कि मुंडा उस समय छड़ें बांध रहा था, लेकिन मुर्मू न तो उसके साथ था और न ही मुंडा के साथ. खंडपीठ ने कहा कि उसका मानना है कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं कि मुर्मू ने पीड़िता से बलात्कार किया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी. पीठ ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि अपीलकर्ता छोटू मुंडा और ताप्ती पात्रा को उन अपराधों के लिए दोषी ठहराया जा सके, जिनका आरोप उन पर लगाया गया था, क्योंकि अपराधों में उनकी संलिप्तता स्थापित नहीं होती है.’ खंडपीठ ने कहा कि सुधार गृह में मुर्मू का आचरण भी अच्छा बताया गया है.
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