डब्ल्यूबीसीएस: हिंदी, उर्दू व संताली माध्यम के अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत

पश्चिम बंगाल सिविल सर्विसेज (डब्ल्यूबीसीएस) के मुद्दे पर प्रभात खबर की मुहिम को मिली सफलता पर आखिरकार सरकारी मुहर लग गयी.

By AKHILESH KUMAR SINGH | June 20, 2025 1:20 AM
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प्रभात खबर की मुहिम को मिली सफलता पर लग गयी सरकारी मुहर, जारी हुई संशोधित अधिसूचना

15 मार्च 2023 को सरकार ने डब्ल्यूबीसीएस के सिलेबस और पैटर्न में किया था बदलाव, गजट नोटिफिकेशन जारी कर पुराने पैटर्न को ही किया गया बहाल

15 मार्च 2023 को राज्य सरकार के पार विभाग की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी करके डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा के पैटर्न और सिलेबस में बदलाव किया गया. मेन परीक्षा के कंपलसरी पेपर एक, जिसमें पांच भाषाओं हिंदी/उर्दू/बांग्ला/नेपाली/संताली में से किसी एक भाषा के प्रश्नों के उत्तर लिखने का प्रावधान था, उसे बदल दिया गया. पांच भाषाओं में से तीन हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटा दिया गया तथा 200 नंबर के इस पेपर को 300 नंबर का कर दिया गया. इस पेपर में पूछे जानेवाले सवाल कक्षा दस के स्टैंडर्ड के होंगे और 30 फीसदी अंक पाना अनिवार्य बना दिया गया. जिससे हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के अभ्यर्थियों के लिये यह परीक्षा में बैठना ही सबसे बड़ी समस्या बन गयी क्योंकि कक्षा दस के स्टैंडर्ड के सवलों के जवाब बांग्ला/नेपाली भाषा मे देना पड़ता. नेपाली भाषा सिर्फ हिल एरिया के लोगों के लिए ही लागू थी. इसपर प्रभात खबर ने एक मई 2023 से मुहिम शुरू की और 27 मई 2025 तक यह मुहिम चरणबद्ध तरीके से चलती रही. लोग इस मुहिम से जुड़े और इसने एक जन आंदोलन का रूप लिया. विभिन्न माध्यमों से मुख्यमंत्री के पास भी अपील गयी. आखिरकार सरकार ने अपना निर्णय वापस ले लिया और डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में पुराने नियम और पद्धति को बहाल कर दिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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