डब्ल्यूबीइआरसी व जेएसइआरसी तय करती हैं बिजली दरें : डीवीसी

दामोदर वैली पावर कंज्यूमर्स एसोसिएशन द्वारा बिजली शुल्क के वृद्धि के आरोपों पर बयान जारी करते हुए कहा कि इन संगठनों की अपील में कई तथ्यात्मक अशुद्धियां और विसंगतियां हैं

By SUBODH KUMAR SINGH | May 31, 2025 12:42 AM
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संवाददाता, कोलकाता.

दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने स्टील री-रोलिंग मिल्स एसोसिएशन/डब्ल्यूबी स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, दामोदर वैली पावर कंज्यूमर्स एसोसिएशन द्वारा बिजली शुल्क के वृद्धि के आरोपों पर बयान जारी करते हुए कहा कि इन संगठनों की अपील में कई तथ्यात्मक अशुद्धियां और विसंगतियां हैं, जो पूरी तरह से एकतरफा हैं और उनकी अपील में सामने नहीं लायी गयी हैं. डीवीसी ने बयान जारी कर कहा है कि पश्चिम बंगाल और झारखंड के डीवीसी घाटी क्षेत्र के भीतर एचटी और एलटी, औद्योगिक/वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करता है और इस बिजली वितरण के लिए शुल्क पश्चिम बंगाल के लिए डब्ल्यूबीइआरसी और झारखंड के लिए जेएसइआरसी द्वारा तय किया जाता है. डीवीसी बार-बार दोनों राज्य सरकारों से इस क्षेत्र में बिजली शुल्क निर्धारण के लिए एक नियामक आयोग का गठन करने का प्रस्ताव दिया है. पश्चिम बंगाल में डीवीसी का टैरिफ पिछले कई वर्षों से स्थिर रहा है, क्योंकि उपर्युक्त एसोसिएशनों ने 2007 से विभिन्न मंचों पर विभिन्न कारणों से मुकदमेबाजी की है, जो 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मान्य नहीं हैं.

इसके बाद उपर्युक्त एसोसिएशनों ने बकाया भुगतान के खिलाफ मुकदमेबाजी की, जिसे 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने की समयावधि के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया है. कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि डीवीसी ने हमेशा माननीय न्यायालयों के आदेश का अनुपालन किया है और एसोसिएशनों के साथ बहुत धैर्य का व्यवहार रखा है. उपर्युक्त एसोसिएशनों द्वारा किये गये मुकदमेबाजी के कारण 132 केवी और 33 केवी का टैरिफ वित्त वर्ष 2018-19 से काफी हद तक स्थिर रहा है.

डीवीसी ने ईंधन और जनशक्ति की लागत में वृद्धि के बावजूद बिजली की आपूर्ति जारी रखी है.

डीवीसी ने अपने बयान में कहा है कि एसोसिएशनों ने डब्ल्यूबीइआरसी द्वारा निर्धारित दरों की तुलना में झारखंड के लिए जेएसइआरसी द्वारा निर्धारित टैरिफ को तुलनात्मक रूप से कम बताया है. बताया गया है कि डीवीसी ने पहले ही जेएसइआरसी द्वारा तय गये टैरिफ का समर्थन नहीं किया है और इसे अनुचित ठहराया है. इसे लेकर डीवीसी ने पहले ही एप्पीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (एपीटीइएल) के समक्ष अपील की है.

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