सिलीगुड़ी: केन्द्र में एक साल पूरे होने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा किये गये काम-काज की हर ओर समीक्षा हो रही है. जाहिर तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के सांसदों के काम-काज को भी लेकर आम लोग चर्चा कर रहे हैं. दाजिर्लिंग लोकसभा क्षेत्र से भाजपा नेता एसएस अहलुवालिया की करीब दो लाख वोट से भारी जीत हुई है.
पिछले एक साल के उनके काम-काज पर नजर दौड़ाने पर लगता है कि वह सभी मोरचे पर फेल हुए हैं. और तो और, एक साल में वह अपने सांसद निधि कोष से एक रुपये तक खर्च नहीं कर पाये हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने इस कोष के माध्यम से किसी भी प्रकार की किसी परियोजना की मंजूरी ही नहीं दी है. भारत सरकार ने उनके सांसद निधि में ढाई करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. आवंटन के बाद से अब तक मिले ब्याज को मिलाकर उनके सांसद निधि में 2.53 करोड़ रुपये वगैर किसी इस्तेमाल के बचे हुए हैं. इस संबंध में जब उनसे संपर्क किया गया, तो उनके सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत विभिन्न योजनाओं पर खर्च करने के लिए इस राशि को सुरक्षित रखा गया है.
आने वाले दिनों में दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र में स्वच्छ भारत अभियान के तहत सांसद निधि कोष में जमा इस राशि को खर्च किया जायेगा. श्री अहलुवालिया के सचिव इस मामले में चाहे जो सफाई दे दे, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत इस कोष को खर्च करने की मंजूरी भी अब तक नहीं दी गई है. सिर्फ इतना ही नहीं, एसएस अहलुवालिया जब दाजिर्लिंग से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए यहां आये थे तब उन्होंने कई वादे किये थे. उनमें सबसे प्रमुख चाय उद्योग में सुधार के लिए अलग से चाय मंत्रलय बनाने का वादा था. श्री अहलुवालिया जब चुनाव जीते तब भी उन्होंने सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित अपने सबसे पहले संवाददाता सम्मेलन में साफ-साफ कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर अलग से चाय मंत्रलय बनाने का प्रस्ताव रखेंगे. लेकिन उनके इस दावे की भी हवा निकल गई है. केन्द्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन जब कल सिलीगुड़ी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं तब संवाददाताओं ने उनसे चाय मंत्रलय बनाने संबंधी सवाल पूछे. सांसद एसएस अहलुवालिया भी उस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे.
संवाददाताओं के प्रश्न पर निर्मला सीतारमन ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि इस प्रकार का कोई प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास नहीं आया है. इस मुद्दे को लेकर कभी चर्चा तक नहीं की गई. स्वाभाविक तौर पर अहलुवालिया के चाय मंत्रलय बनाने का वादा बस एक जुमला भर साबित हुआ. श्री अहलुवालिया पिछले एक वर्ष के कार्यकाल में कई मोरचों पर फेल रहे हैं. उन्होंने दाजिर्लिंग में पेयजल की समस्या दूर करने की बात कही थी. इस दिशा में भी अभी तक कोई काम नहीं हुआ है और दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. विभिन्न मोरचों पर फेल होने के कारण सांसद अहलुवालिया इन दिनों अपने विरोधियों के निशाने पर हैं. तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मदन भट्टाचार्य ने उनको आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह विकास करने नहीं, बल्कि बंगाल का विभाजन करने के लिए दाजिर्लिंग आये हुए हैं. उन्होंने पिछले एक वर्ष के दौरान विकास का कोई काम नहीं किया, जबकि गोरखालैंड मुद्दे को लेकर वह गोजमुमो नेता बिमल गुरूंग को साथ लेकर दिल्ली में दरबार करते रहे.
ममता बनर्जी की बढ़ी मुश्किलें, Kolkata Doctor Murder Case के विरोध में मेडिकल छात्रों ने सिलीगुड़ी में निकाला मशाल जुलूस
West Bengal : सिलीगुड़ी के बिधान मार्केट में लगी आग, कई दुकानें जलकर खाक
Bengal Crime News : बंगाल में 25 दिन की बच्ची को मां ने फेंका कुएं में फिर
Train Accident : बंगाल में मालगाड़ी के पांच डिब्बे पटरी से उतरे, कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन