Big Breakthrough | Cornea Transplant Drone : भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीकी प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने AIIMS दिल्ली और डॉ श्रॉफ्स चैरिटी आई हॉस्पिटल के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया है. इस रिसर्च के तहत, ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर इंसानी कॉर्निया और एमनियोटिक झिल्ली जैसे संवेदनशील बायोलॉजिकल मटेरियल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक तेजी से पहुंचाने की संभावना का अध्ययन किया गया.
40 मिनट में सफल डिलीवरी, मरीज को मिला समय पर इलाज
ICMR की इस नवाचार पहल के तहत, डॉ श्रॉफ्स चैरिटी आई हॉस्पिटल (सोनीपत केंद्र) से ड्रोन के माध्यम से कॉर्निया ऊतक को पहले AIIMS झज्जर और फिर AIIMS दिल्ली तक पहुंचाया गया. आमतौर पर सड़क मार्ग से यह दूरी तय करने में 2 से 2.5 घंटे लगते हैं, लेकिन ड्रोन ने यह यात्रा सिर्फ 40 मिनट में पूरी कर ली. इस तेजी से डिलीवरी के चलते, कॉर्निया की गुणवत्ता बनी रही, जिससे मरीज को समय पर उपचार मिल सका और सफल सर्जरी के बाद उसकी रोशनी लौट आई.
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ड्रोन टेक्नोलॉजी से हेल्थकेयर में क्रांति
ICMR की i-DRONE (आई-ड्रोन) पहल पहले भी कई दूरस्थ क्षेत्रों में दवाओं और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए ड्रोन का सफलतापूर्वक उपयोग कर चुकी है. यह नया प्रयोग दर्शाता है कि ड्रोन का उपयोग न केवल वैक्सीन और दवाइयों की आपूर्ति के लिए बल्कि अंग प्रत्यारोपण के लिए भी किया जा सकता है.
ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन के फायदे
समय की बचत : ड्रोन से ट्रांसपोर्टेशन बेहद तेज और प्रभावी है.
संवेदनशील मेडिकल सामग्री की सुरक्षा : तापमान और गुणवत्ता बनाये रखना संभव.
ट्रैफिक जाम से बचाव : सड़क मार्ग की तुलना में अधिक कुशल समाधान.
रिमोट एरिया में भी डिलीवरी संभव : दुर्गम इलाकों तक हेल्थकेयर सुविधाएं पहुंचाना आसान.
भविष्य में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए गेम-चेंजर
ICMR और AIIMS की यह पहल दर्शाती है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाया जा सकता है. यह कदम विशेष रूप से कॉर्निया ट्रांसप्लांट और अन्य मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं के लिए नये दरवाजे खोल सकता है.
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