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क्यों किया जाता है Bird Strike Test?
दरअसल, जब कोई हवाई जहाज हवा में उड़ान भरता है, तो उसके सामने सबसे बड़ा खतरा बर्ड स्ट्राइक होने यानी कि किसी पक्षी के टकराने का होता है. अगर उड़ान के दौरान कोई पक्षी हवाई जहाज के टर्बाइन इंजन में घुस जाए, तो इससे फ्लाइट का इंजन खराब यानी कि फेल हो सकता है. जिससे जान का खतरा बन जाता है. इसलिए लॉन्च करने से पहले किसी भी एयरक्राफ्ट के इंजन का Bird Strike Test किया जाता है. इस बर्ड स्ट्राइक टेस्ट में इंजन में स्पीड से पक्षी को डाला जाता है. जिससे यह पता किया जा सके कि इंजन पर पक्षी के टकराने से क्या असर पड़ता है. इस तरह के टेस्टिंग से यह सुनिश्चित किया जाता है कि इंजन इस तरह की कंडीशन में सुरक्षित तरीके से काम कर पाएगा या नहीं.
टेस्ट में जिंदा मुर्गा ही क्यों?
अब सवाल उठता है कि आखिर इस बर्ड स्ट्राइक टेस्ट के लिए जिंदा मुर्गे का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है, मरे मुर्गे का क्यों नहीं? दरअसल, मरे हुए पक्षी के शरीर में किसी तरह का मूवमेंट नहीं होता है, वह स्थिर रहता है. ऐसे में अगर उसे इंजन में डाला जाए तो वह किसी तरह का प्रतिक्रिया नहीं देगा. जिससे इंजन पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़ेगा. जबकि जिंदा मुर्गे को अगर इंजन में डाला जाए तो वह तुरंत प्रतिक्रिया देगा. वह बचने के लिए फड़फड़ाएगा और बचने की कोशिश करेगा. जिससे असल में इंजन पर दबाव पड़ेगा. ऐसे में जिंदा पक्षी को टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल कर साइंटिस्ट यही समझ पाते हैं कि हवाई जहाज का इंजन बर्ड स्ट्राइक की कंडीशन में कितना सहन कर पाएगा और आपात स्थिति में यात्रियों की जान कैसे बचाई जा सकती है.
कौन करता है यह टेस्ट?
आमतौर पर इस तरह के टेस्ट बड़े जेट इंजन निर्माता (Rolls-Royce, GE Aviation, Safran) जैसी कंपनियां करती हैं. इस तरह की टेस्टिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय एविएशन रेगुलेटरी बॉडीज (International Aviation Regulatory Bodies) की गाइडलाइंस को फॉलो किया जाता है. बर्ड स्ट्राइक टेस्टिंग में आमतौर पर जिंदा मुर्गे या बत्तख जैसी पक्षियों का इस्टेमल किया जाता है. इस तरह के टेस्ट से यही पता किया जाता है कि इंजन किसी तरह के बर्ड हिट को झेल सकता है या नहीं.
हालांकि, इस तरह की प्रक्रिया विवादास्पद हो सकती है. लेकिन सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह प्रक्रिया जरूरी भी है. क्योंकि, हजारों यात्रियों की जान इस प्रोसेस पर निर्भर करती है. इस टेस्टिंग से इंजन की खामी का पता चल जाता है. वहीं, अगर इंजन में खामी मिलती है तो उसे बेहतर बनाने के लिए फिर से काम किया जाता है.
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