मेटा का स्मार्टग्लास करेगा स्मार्टफोन की छुट्टी, मार्क जुकरबर्ग लगा रहे बड़ा दांव

Meta Hypernova Smartglass: मेटा एक नई स्मार्टग्लास पर काम कर रहा है, जो रेबैन मेटा ग्लासेस का एक अपग्रेड वर्जन हो सकता है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन स्मार्टग्लास को कंपनी में 'हाइपरनोवा' कोड-नेम दिया गया है.

By Ankit Anand | April 5, 2025 12:22 PM
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Meta Hypernova Smartglass: मेटा अपनी वेरेबल टेक्नोलॉजी की दिशा में एक नए चरण की तैयारी कर रहा है. इसी कड़ी में कंपनी जल्द ही हाइपरनोवा नामक ऑगमेंटेड रियलिटी स्मार्टग्लासेस लॉन्च करने वाली है, जो इस साल के अंत तक बाजार में आ सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन ग्लासेस की शुरुआती कीमत $1,000 (लगभग ₹83,000) से अधिक हो सकती है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाइपरनोवा के कुछ वेरिएंट्स की कीमत $1,400 (लगभग ₹1.16 लाख) तक जा सकती है, जो मेटा के अब तक के सबसे महंगे वेरेबल डिवाइसेज में से एक होंगे. बताया जा रहा है कि इन स्मार्टग्लासेस के दाहिने लेंस में एक कॉम्पैक्ट हेड्स-अप डिस्प्ले दिया जाएगा, जिससे यूजर्स को नोटिफिकेशन्स, फोटो और मैपिंग सर्विसेज जैसी सुविधाएं त्वरित रूप से मिल सकेंगी.

Meta हाइपरनोवा स्मार्टग्लासेस की फीचर्स 

आने वाले हाइपरनोवा स्मार्ट ग्लासेस की सबसे खास बात एक छोटी सी मोनोक्युलर डिस्प्ले है, जो उनके एक लेंस में लगी होगी. यह कॉम्पैक्ट स्क्रीन यूजर्स को नोटिफिकेशन देखने, गूगल मैप्स जैसे ऐप्स एक्सेस करने, फोटो गैलरी ब्राउज करने और एक सिंप्लिफाइड ऐप ट्रे के साथ इंटरैक्ट करने की सुविधा दे सकती है.

डिस्प्ले को इमर्सिव अनुभव की बजाय एफिशिएंसी के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे साफ है कि मेटा इस बार फुल मिक्स्ड रियलिटी की जगह हल्के और यूजफुल फीचर्स पर फोकस कर रहा है.

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हार्डवेयर के स्तर पर भी अपग्रेड की उम्मीद है. लीक हुई जानकारियों के अनुसार, इन ग्लासेस में बड़ा कैमरा सेंसर दिया जा सकता है, जो मौजूदा रे-बैन मेटा स्मार्ट ग्लासेस में इस्तेमाल हो रहे 12 मेगापिक्सल कैमरा से बेहतर क्वालिटी की तस्वीरें कैप्चर करने में सक्षम होगा.

Meta को सॉफ्टवेयर पर करना होगा काम 

मेटा जहां अपने आगामी स्मार्टग्लासेस के हार्डवेयर पर जोर दे रहा है, वहीं असली चुनौती सॉफ्टवेयर इंटीग्रेशन में नजर आ रही है. उम्मीद की जा रही है कि ‘हाइपरनोवा’ काफी हद तक मेटा के ‘व्यू ऐप’ पर निर्भर करेगा—एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिसे खासकर iOS डिवाइस के साथ इस्तेमाल करने में जटिल और सीमित माना गया है.

फिलहाल यह ऐप Meta के स्मार्टग्लासेस और स्मार्टफोन के बीच पुल का काम करता है, जैसे मीडिया ट्रांसफर और डिवाइस सेटिंग्स को मैनेज करना. लेकिन मेटा की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसे थर्ड पार्टी ऑपरेटिंग सिस्टम्स—खासकर एप्पल के iOS—पर निर्भर रहना पड़ता है, जो इंटरऑपरेबिलिटी और बैकग्राउंड एक्टिविटी पर कई तरह की पाबंदियां लगाता है.

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