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एयर रेड सायरन क्या है? | Air Raid Siren
एयर रेड सायरन यानी कि हवाई हमला सायरन. युद्ध के दौरान जब हवाई हमला या कोई मिसाइल अटैक जैसा खतरा नजदीक हो तब एयर रेड सायरन बजाया जाता है. हालांकि, कभी-कभी किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान भी इस सायरन को बजाया जाता है. आमतौर पर इस सायरन को 60 सेकेंड के लिए बजाया जाता है. सायरन बजाने का उद्देश्य लोगों को अलर्ट करना होता है, ताकि सायरन बजते ही लोग सुरक्षित स्थानों पर जा सकें.
कौन सी टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल? | War Siren Technology
आज देश में होने वाले मॉक ड्रिल के दौरान कौन सी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, फिलहाल यह तय नहीं है. हालांकि, अन्य देशों में इस तरह का खतरा होने पर एयर, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिसिटी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सायरन बजाने के लिए किया जाता है. एयर सायरन टेक्निक में एक घूमती हुई डिस्क में मौजूद छेद हवा को रोकते हैं और फिर उसे उसे रिलीज करते हैं. रिलीज होते ही उसमें से एक साउन्ड निकलता है. इलेक्ट्रिसिटी टेक्नोलॉजी में एक मशीन में डायफ्रॉम या हॉर्न लगे होते हैं. जिससे ध्वनि निकलती है. वहीं, इलेक्ट्रॉनिक सायरन डिजिटल तरीके से बजते हैं. उनमें स्पीकर भी लगते हैं.
क्या मोबाइल में आएगा अलर्ट | Mobile Alert
आज होने वाले मॉक ड्रिल को लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या एयर रेड सायरन बजने के दौरान उनके मोबाइल में भी अलर्ट आएगा. आपको बता दें कि आपदा के दौरान लोगों को अलर्ट करने के लिए कुछ सालों पहले ही भारतीय दूरसंचार विभाग ने एक इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम टेस्ट किया है. इस टेस्ट के दौरान कई सारे लोगों को उनके स्मार्टफोन पर एक इमरजेंसी टेस्ट फ्लैश ‘Emergency Alert: Severe’के तौर पर अलर्ट भेजा गया था. इस दौरान कई सारे स्मार्टफोन यूजर्स को अलर्ट मैसेज के साथ 10 सेकेंड के लिए लाउड बीप साउंड सुनने को भी मिला था. साइलेंट मोड में रखे स्मार्टफोन में भी ये बीप सुनने को मिला था. हालांकि, आज होने वाले मॉक ड्रिल में ऐसा कोई इमरजेंसी अलर्ट नहीं आने वाला है. इसे लेकर सरकार की तरफ से अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है.
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