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कैसा है बी-2 स्टील्थ बॉम्बर का डिजाइन
अमेरिका के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे पारंपरिक रडार पर इस विमान को पकड़ पाना मुश्किल है. बी-2 स्टील्थ बॉम्बर की फ्लाइंग विंग डिजाइन, कम इन्फ्रारेड सिग्नेचर और रेडार-अब्जार्वेंट मैटेरियल के कारण इस विमान का रडार क्रॉस सेक्शन एक छोटे पक्षी जितना यानी करीब 0.001 वर्ग मीटर है. 66 फीट लंबा और 17 फीट ऊंचा बी-2 बॉम्बर के पंखों का फैलाव 172 फीट तक है. दावा किया गया है कि, यह विमान 50,000 फीट से भी अधिक ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. यह 20 टन के पेलोड को आसानी से ले जाने कि क्षमता रखता है.
क्या-क्या है सुविधाएं
बी-2 स्टील्थ बॉम्बर में सिर्फ आरामदायक बेड ही नहीं बल्कि आधुनिक शौचालय, फ्रिज और माइक्रोवेव है. साथ ही खाने के सामान में अनाज, कैंडी बार, सैंडविच, और पेय पदार्थ में दुध आदि उपलब्ध है. इस विमान को उड़ाने के लिए आमतौर पर दो पायलट होते हैं. जिन्हें खाने के साथ-साथ कई सारी सुविधाएं दी जाती हैं. ऐसे में ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत ईरान के न्यूक्लियर साइट को तबाह करने के लिए इस विमान का इस्तेमाल किया गया. यह ऑपरेशन लगभग 37 घंटों तक चला. ऐसे में इस ऑपरेशन के तहत विमान के दोनों पायलटों को खाने से लेकर सभी सुविधाएं दी गईं.
पहली बार 1989 में उड़ान भरी थी
नॉर्थरोप ग्रूमन कंपनी द्वारा बनाया गया बी-2 स्पिरिट 5th जेनरेशन का स्टील्थ बॉम्बर है. इस विमान ने पहली बार 1989 में उड़ान भरी थी. इसे पहली बार 1999 में हुए कोसोवो युद्ध में परिचालन में लाया गया था. बी-2 स्पिरिट अपने पहले के जेनरेशन बी-1 लांसर, बी-52 स्ट्रैटोफोर्टेस, एफ-117 नाइटहॉक्स से काफी हद तक अलग है. इसका इस्तेमाल लंबे मिशन के उड़ानों के लिए किया जाता है. ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत ईरान के न्यूक्लियर साइट को तबाह करने के लिए अमेरिकी बेस से उड़ान भरने के बाद वापस लौटने तक बी-2 बॉम्बर हवा में करीब 37 घंटों तक उड़ता रहा. हवा में ही इस विमान में फ्यूल भरा गया.
बी-2 बॉम्बर का ही क्यों किया गया इस्तेमाल?
ईरान ने न्यूक्लियर बनाने के लिए यूरेनियम जमा कर रखा है. जिसे बंकर के भीतर रखा गया है, जिसे सिर्फ बंकर बम ही तबाह कर सकता है. ऐसे में इस बम को बी-2 बॉम्बर ही ले जा सकता है. इसलिए अमेरिका ने इसी विमान का इस्तेमाल ईरान के न्यूक्लियर साइट को तबाह करने के लिए किया.
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