What is DarkNet : ऑनलाइन दुनिया की जब हम बात करते हैं, तो हमारी नजर में सिर्फ गूगल और दूसरे सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स की गई वेबसाइट्स और कुछ दूसरी चीजें होती हैं. ये सभी वर्ल्ड वाइड वेब के तहत आते हैं लेकिन यह दरअसल किसी हिमशैल का सिरा है, जिसे टिप ऑफ द आइसबर्ग कहते हैं. गूगल और अन्य सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स की गई सभी वेबसाइट से परे डीप वेब यानी डीप नेट है, और उसके भी अंदर डार्क वेब या डार्कनेट छिपा हुआ है. और इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है.
डीप वेब या डीप नेट में उस दूसरी परत की वेबसाइट्स आती हैं, जो इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा कंटेंट ब्राउज करने पर सर्च इंजन के रिजल्ट के रूप में दिखाई नहीं देती है. डीप वेब का उपयोग निजी जानकारी और ऐसी जानकारी रखने के लिए भी किया जा सकता है जिसे गुप्त रखने की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए कानूनी या वैज्ञानिक दस्तावेज, मेडिकल रिकॉर्ड या प्रतिस्पर्धी की जानकारी.
डीप नेट या डीप वेब से परे एक स्तर डार्क वेब या डार्क नेट का है, जो इंटरनेट का एक छोटा सा हिस्सा है जिसमें जानबूझकर छिपाकर रखी गई वेबसाइट्स हैं, जो केवल एन्क्रिप्टेड ब्राउजर जैसे कि द अनियन राउटर, जिसे टोर के नाम से जाना जाता है, का उपयोग कर ऐक्सेस की जा सकती हैं. आइए जानते हैं डार्क वेब के बारे में, जिसे डार्क नेट के नाम से भी जाना जाता है.
ऑनलाइन दुनिया का एक हिस्सा डार्क नेट का भी है, जो सर्च इंजन से एकदम अलग है. हाल ही में NEET का पेपर भी इसी पर लीक किया गया था. यहां यूजर्स को ट्रेस करना पाना बहुत मुश्किल होता है. इस जगह पर बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी में पेमेंट होती है. डार्कनेट पर कानूनी और गैर-कानूनी, दोनों तरह की एक्टिविटीज होती हैं, और इसमें किसी का नाम सबके सामने नहीं आ पाता है.
डार्कनेट इंटरनेट का वह हिस्सा है, जो एनक्रिप्टेड नेटवर्क पर मौजूद है. इसे ऐक्सेस करने के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर, ऑथराइजेशन और कंन्फिगरेशन की जरूरत होती है. डार्कनेट को सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स भी नहीं किया जाता है और इसलिए यहां पर किसी की जानकारी पता नहीं लग पाती है. यह यूजर्स को नकली सामान, चोरी किये गए डेटा, ड्रग्स, हथियार और अवैध सर्विसेज बेचने जैसी गलत कामों में शामिल होने की अनुमति देता है. हालांकि, डार्कनेट पर हो रही सारी एक्टिविटी अवैध नहीं होती है. यहां प्राइवेसी प्रोटेक्शन, बिना नाम के कम्यूनिकेशन और सेंसरशिप जैसे वैध उद्देश्यों वाले काम भी होते हैं.
डार्कनेट के खतरे क्या हैं?
डार्क नेट का इस्तेमाल वैसे तो वैध उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी किया जाता है, लेकिन मोटे तौर पर इसके कई खतरे हैं और जिन्हें जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है. आइए जान लेते हैं डार्क नेट या डार्क वेब के कुछ खतरों के बारे में-
साइबर क्राइम : डार्क नेट को आप साइबर क्रिमिनल्स का अड्डा कह सकते हैं. यह क्रेडिट कार्ड स्कैम, यूजर्स की आइडेंटिटी की चोरी, डिवाइस में मैलवेयर डाल देना जैसी अवैध एक्टिविटीज शामिल हैं. इस तरह के क्रिमिनल्स कानून से अपनी एक्टिविटी को छिपाने के लिए डार्क वेब का सहारा लेते हैं.
मैलवेयर : डार्क नेट पर साइबर क्रिमिनल्स धड़ल्ले से मैलवेयर इंस्टॉल करते हैं. इससे यूजर्स की डिवाइस का उन्हें ऐक्सेस मिल जाता है. इससे यूजर्स की निजी जानकारी तक पहुंचा जा सकता है. डार्क नेट पर लगभग हर तरह का मैलिशस सॉफ्टवेयर मौजूद है.
स्कैम और अवैध एक्टिविटी : डार्क नेट में कई वेबसाइट्स को यूजर्स की निजी जानकारी और पैसे चुराने के लिए डिजाइन किया जाता है. इसके अलावा, डार्क नेट पर ड्रग स्मगलिंग, वेपन ट्रेडिंग और ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसी एक्टिविटीज भी की जाती हैं. ऐसे में डार्क नेट का इस्तेमाल करते समय सतर्कता में कमी बहुत हानिकारक हो सकती है.
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