AI और मानव के लिखे कंटेंट में होता है अंतर
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, अमेरिका और हेफेई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, चीन के लेखकों ने ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा कि ‘एक्सफेकएससीआई’ चैटजीपीटी से तैयार किये गए लेखों को वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किये गए प्रकाशनों से अलग करने में सक्षम है. लेखकों ने प्रस्तावित किया कि एआई द्वारा अपनाई जाने वाली लेखन शैली मानव शोधकर्ता द्वारा अपनाई जाने वाली शैली से भिन्न होती है, क्योंकि किसी दिये गए विषय पर कोई लेख तैयार करते समय दोनों के लक्ष्य समान नहीं होते हैं.
असली बनाम नकली
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित एल्गोरिदम विकसित करने के लिए रिसर्चर्स ने दो अलग-अलग डेटासेट विकसित किये. उनमें से एक में पबमेड से लिये गए विज्ञान संबंधी लगभग 4 हजार आलेख साइंटिफिक आर्टिकल थे, जो एक ओपन डेटाबेस है. इसमें बायोमेडिकल और बायोलॉजी के रिसर्च लेटर हैं और इन्हें यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने मेंटेन किया है. दूसरे में 300 नकली आर्टिकल शामिल थे, जिन्हें रिसर्चर्स ने चैटजीपीटी के उपयोग से बनाया था.
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