वाराणसी: उम्र उन्हें मुरझा नहीं सकती. कलावती दिन ढलते ही सुबह की सैर के लिए तैयार हो जाती हैं. साड़ी पहनने के बाद जब वह स्पोर्ट्स शूज़ पहनकर दौड़ लगाने निकलती हैं तो ऐसा लगता है कि मानों उनके कदमों के नीचे बसंत उतर आया हो. 102 बसंत पार कर चुकीं वाराणसी के परमानंदपुर गांव निवासी कलावती पूरी तरह से चुस्त दुरुस्त हैं. अपने इसी उत्साह की बदौलत इस बार कलावती काशी सांसद खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रही हैं.खेलों को बढ़ावा देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से बेहद प्रेरित होकर, उन्होंने 16 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच होने वाली सांसद खेल प्रतियोगिता काशी-2023 में 100 मीटर की दौड़ में भाग लेने के लिए अपना पंजीकरण कराया हैृ.उनके जीवन की कहानी भी किसी से कम नहीं है.जीवन में मैराथन संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और शालीनता का वह अनुकरणीय उदाहरण हैं. 1921 में एक किसान परिवार में जन्मी कलावती की शादी 10 साल की उम्र में हो गई थी. वर्षों की बदनामी और “कोई समस्या न होने” के लिए नाम-पुकारने के बाद, उन्होंने 20 साल के अपने पति से अलग होने का फैसला किया और 1962 में अपने पिता और भाई के साथ वापस आ गईं. तब वह 31 वर्ष की थीं. वह अपने पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थीं. आत्मनिर्भर बनने की इच्छा रखते हुए, कलावती ने वाराणसी के शिवपुर इलाके में अपने परिवार के 15-बीघा खेतों की देखभाल करना शुरू कर दिया.
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