चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), रवि: चक्रधरपुर में स्थित 1857 ब्रिटिश विद्रोह के नायक वीर शहीद राजा अर्जुन सिंह के राजमहल का मुख्य द्वार एवं चहारदीवारी जर्जर अवस्था में है. इसे संरक्षित करने को लेकर राज परिवार के सदस्य अनूप सिंहदेव और झारखंड आंदोलनकारी सुखदेव हेम्ब्रम द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया था. उसी के आलोक में पश्चिम सिंहभूम जिले के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची मंडल को राजमहल के निरीक्षण का निर्देश दिया था. इसी कड़ी में सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची मंडल के सहायक पुरातत्वविद डॉ मोहम्मद अजहर शब्बीर, सहायक पुरातत्व सर्वेयर महावीर कुमार और फोटोग्राफर कन्हैया कुमार झा चक्रधरपुर में स्थित राजा का राजमहल (अब जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय संचालित है) देखने पहुंचे. सर्वेक्षण की टीम ने राजमहल के मुख्य द्वार, दीवार एवं वॉच टावर, वॉच टावर के नीचे बने तहखानों आदि का निरीक्षण करते हुए मापी के साथ सैंपल भी कलेक्शन किए. इस दौरान जानकारी देते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची मंडल के सहायक पुरातत्व विद डॉ मोहम्मद अजहर शब्बीर ने बताया कि उन्हें पत्र के माध्यम से राजमहल के जर्जर स्थिति में होने की जानकारी मिली थी. पुरातत्व विभाग अब राजमहल का भौतिक सर्वेक्षण कर राजमहल के इतिहास को वैज्ञानिक तरीके से जानने की कोशिश करेगा. इसके साथ ही यह भी देखा जायेगा कि इसे संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग ले सकता है या नहीं. इसके बाद राजमहल को कैसे संरक्षित किया जा सकता है. इस पर भी विभाग एक कार्य योजना तैयार करेगी. इस मौके पर चक्रधरपुर अंचल अधिकारी गिरजानंद किस्कू, कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर डॉ श्रीनिवास कुमार और कॉलेज के अन्य शिक्षकगण मौजूद थे.
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