पीटीआर के जंगल क्षेत्र में पड़ने वाले गांवों को पुनर्वासित करने की योजना
जानकारी देते हुए पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने बताया कि पीटीआर के क्षेत्र में जंगल क्षेत्र में पड़ने वाले गांव को पुनर्वासित करने की सरकार की योजना है ताकि वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन में कोई अवरोध नहीं हो सके. पुनर्वासित होने वाले गांव में सभी लोगों की सहमति अनिवार्य होती है.
ऐसे होती है गांवों के पुनर्वासित करने की प्रक्रिया
इसके तहत ग्राम सभा की जाती है और पुनर्वासित होने की सभी प्रक्रियाओं को विस्तार से समझाया जाता है. सरकार द्वारा दी जाने वाली पहले और दूसरे पैकेज के बारे में विस्तार से बताया जाता है. पहले पैकेज के तहत 15 लाख रुपये, पांच एकड़ की भूमि और नौकरी देने का प्रावधान होता है. 18 साल से अधिक के लाभुकों को सूची तैयार करने के बाद सरकार को प्रस्ताव भेजा जाता है. स्वीकृति मिलने के बाद ही वहां से उनकी पुनर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है.
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इन गांवों के पुनर्वासित करने का भेजा गया प्रस्ताव
पीटीआर क्षेत्र के नवरनागु, तनवे, चपिया, पोलपोल, टोटकी, तुरेर, तूमेरा, कोरवाडीह गांव है जिसके पुनर्वासित करने के लिए हाल ही में प्रस्ताव भेजा गया है. इसके पहले लातू और कुजरूम को पुनर्वासित करने का प्रस्ताव की स्वीकृति मिल गयी है. पुनर्वासित करने की उसकी प्रक्रिया जारी है.
पीटीआर को ग्राम सभा से प्रस्ताव मिला : डिप्टी डायरेक्टर
इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने कहा कि जिन आठ गांवों को पुनर्वासित करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. उसके लिए ग्राम सभा से प्रस्ताव पीटीआर को प्राप्त हुआ है.