Aditya L-1 की बड़ी सफलता, पार किया सबसे मुश्किल रास्ता! ISRO ने दोहराया इतिहास
भारत का पहला सूर्ययान Aditya L-1 पृथ्वी से काफी दूर निकल चुका है. इसरो ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखते हुए यह जानकारी दी है कि भारत का पहला सूर्य मिशन Aditya L-1 अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर पृथ्वी से करीब 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है.
By Aditya kumar | September 30, 2023 9:40 PM
ISRO on Aditya L-1 : भारत का पहला सूर्ययान Aditya L-1 पृथ्वी से काफी दूर निकल चुका है. जी हां, इसरो ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखते हुए यह जानकारी दी है कि भारत का पहला सूर्य मिशन Aditya L-1 अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर पृथ्वी से करीब 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है. अब यह सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है. साथ ही इसरो ने यह भी बताया कि यह लगातार दूसरी बार है जब इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर भेज सका है. बता दें कि ऐसा पहली बार तब हुआ था जब भारत का मार्स मिशन लॉन्च हुआ था. भारत का यान पहले भी मंगल ऑर्बिटर को पार कर चुका है.
Aditya-L1 Mission:
🔸The spacecraft has travelled beyond a distance of 9.2 lakh kilometres from Earth, successfully escaping the sphere of Earth's influence. It is now navigating its path towards the Sun-Earth Lagrange Point 1 (L1).
इसरो ने जानकारी दी कि ‘आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बाहर निकलकर धरती से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर इसकी जानकारी दी और कहा कि अब यह सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) की ओर अपना मार्ग तय कर रहा है. गौर हो कि इसरो ने देश के पहले सूर्य मिशन के तहत ‘आदित्य एल1’ यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी)-सी57 के जरिये दो सितंबर को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. ‘आदित्य एल1’ सात पेलोड लेकर गया है, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे.
‘आदित्य एल1’ के लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास ‘हेलो’ कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है. यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए यह लगातार सूर्य को देख सकता है.