आगरा. हाईकोर्ट के अधिवक्ता विपिन चंद्र पाल आगरा में यशोदा के मामले में दस्ती सम्मन तामील करने आए. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित थाने की पुलिस ने उन्हें इस प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया. साथ ही जो दूसरे व्यक्ति द्वारा बच्ची के ऊपर दावा किया गया था. उस व्यक्ति की पत्नी ने भी साफ कह दिया कि यह मेरी बेटी नहीं हो सकती. मुझे उसमें बेटी की फीलिंग नहीं आती. जबकि मेरी बेटी 2015 में लापता हुई थी और यह बच्ची यशोदा को 2014 में मिली थी इसमें 1 साल का अंतर है. नितिन ने बताया कि कुछ समय बाद उनको फिर से बाल गृह में बुलाया गया और कहा गया कि आपका और आपकी पत्नी का डीएनए टेस्ट होगा. जिसे बाल गृह में निरुद्ध बच्ची के डीएनए टेस्ट से मिलाया जाएगा. अगर दोनों के सैंपल मैच करते हैं तो यह बच्ची आपकी है. जिसके बाद नितिन अपनी पत्नी के साथ जिला अस्पताल पहुंचे और डीएनए टेस्ट कराया. उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने ₹7000 डीएनए फीस के लिए दिए.
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