क्षत्रिय समाज की निर्णायक भूमिका
बता दें, एत्मादपुर विधानसभा में क्षत्रिय और एससी समाज का वोट अत्यधिक संख्या में है. ऐसे में यहां से जो भी प्रत्याशी जीतता है, उसकी जीत में क्षत्रिय समाज का अत्यधिक महत्व रहता है. क्षत्रिय समाज का वोट जिस प्रत्याशी की तरफ चला जाता है, वही प्रत्याशी इस विधानसभा पर जीत हासिल करता है.
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सपा ने निकाला बीजेपी का तोड़
प्रत्याशियों की बात की जाए तो बीजेपी ने एत्मादपुर विधानसभा से डॉक्टर धर्मपाल को उतारा है. डॉक्टर धर्मपाल अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी को छोड़कर अचानक से बीजेपी में शामिल हुए और एत्मादपुर से टिकट हासिल कर ली. वहीं, दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने भी इसका तोड़ निकालते हुए एत्मादपुर विधानसभा से डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया है.
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छात्र राजनीति में लंबे तक सक्रिय रहे डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान
डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान छात्र राजनीति में लंबे तक सक्रिय रहे और उत्तर प्रदेश महाविद्यालय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी हैं. वह एत्मादपुर विधानसभा के गांव चौकड़ा के रहने वाले हैं. पूर्व विधायक राम प्रताप सिंह चौहान भी इसी गांव के रहने वाले हैं, जिनका टिकट काटकर बीजेपी ने डॉक्टर धर्मपाल को प्रत्याशी बनाया है.
एत्मादपुर विधानसभा में डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान का वर्चस्व
अगर जातीय समीकरणों की बात की जाए तो डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान एत्मादपुर विधानसभा में अच्छा खासा वर्चस्व रखते हैं. वह इसी विधानसभा के रहने वाले हैं और लगातार सक्रिय भी रहे हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी ने उनको टिकट देकर बीजेपी के वोट में सेंध लगाने की तैयारी कर ली है.
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एत्मादपुर विधानसभा में एक लाख एससी मतदाता
एत्मादपुर विधानसभा में करीब एक लाख एससी वोट हैं. वहीं 90 हजार के आसपास क्षत्रिय समाज का वोट है. बाकी अन्य समाज के वोट हैं. ऐसे में क्षेत्र के निवासी होने के नाते डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान क्षत्रिय समाज के वोट अपनी तरफ करने में सफल हो सकते हैं. वहीं दल बदलने का फैक्टर बीजेपी नेता के खिलाफ जा सकता है, जिसका फायदा सपा प्रत्याशी को मिल सकता है.
रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा