अगर तृणमूल धर्मतला में बैठक कर सकती है, तो भाजपा क्यों नहीं
भाजपा ने राज्य में सत्तारूढ़ दल के 21 जुलाई के कार्यक्रम का मुद्दा भी उठाया. भाजपा ने अदालत से पूछा, अगर तृणमूल उस दिन धर्मतला में बैठक कर सकती है, तो वे क्यों नहीं कर सकते. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘राज्य में ये सभी कार्यक्रम चलते रहते हैं. लोगों के फायदे और नुकसान के बारे में कोई नहीं सोचता. सरकारी कर्मचारी, राजनीतिक दल, स्वयंसेवी संगठन सभी सड़कें जाम कर देते है और रैली निकाली जाती है. पुलिस इजाजत दे देती है. यह यहां बहुत आम है. दूसरे राज्यों में मेरा अनुभव अलग है.
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चीफ जस्टिस का राज्य से सवाल
चीफ जस्टिस ने राज्य से सवाल पूजा छठ पूजा के लिए रास्ता बंद कर दिया गया था. लोग दूसरी जगहों से होकर आवाजाही कर रहे हैं. तब आप लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा, ”अगर अब तक आवेदन करने के बाद भी आप इसकी अनुमति नहीं देंगे तो राज्य में कोई भी कार्यक्रम नहीं किया जा सकेगा. हम कहते हैं, राज्य में कहीं भी कोई कार्यक्रम नहीं होगा. जैसे ही राज्य ने नियमों के बारे में बात की मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप नियमों के बारे में बात कर रहे हैं. क्या आप सत्ता पक्ष के कार्यक्रम में नियमों का पालन करते हैं ? उनके लिए क्या नियम हैं, इसकी एक सूची लेकर आएं . उच्च न्यायालय के फैसले और इस टिप्पणी के बाद, भाजपा के वकील लोकनाथ चटर्जी और सूर्यनील दास ने मीडिया से कहा, राज्य सरकार सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के साथ दो बिल्कुल अलग-अलग तरीकों से व्यवहार कर रही है. अदालत का आज का फैसला राज्य प्रशासन के भेदभावपूर्ण व्यवहार का प्रमाण है.
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