पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वज होते हैं प्रसन्न, श्राद्ध में जरूर शामिल करें ये विशेष सामग्री

Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. पितृ पक्ष हर साल भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस दौरान श्राद्ध करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

By Radheshyam Kushwaha | September 26, 2023 4:37 PM
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Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्म पितृ पक्ष का काफी महात्व होता है. इस समय अवधि में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों के नियमित श्राद्ध करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसीलिए हर साल पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. पितृ पक्ष हर साल भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू हो जाती है. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है, जो अगले महीने 14 अक्‍टूबर 2023 तक चलेगी.

पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से पूर्व में कर चुके गलतियों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे प्रसन्न हो जाए और आपको सुखी रहने का आशीर्वाद दें.

  • सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके पितरों के चित्र पर पुष्प अर्पित करें.

  • सबसे पहले आप देवताओं के लिए पूर्व दिशा में मुख करके कुश और अक्षत से तर्पण करें.

  • इसके बाद जौ और कुश लेकर ऋषियों के लिए तर्पण करें.

  • फिर दक्षिण दिशा में अपना मुख कर लें, उसके बाद कुश और जौ से तर्पण करें.

  • अंत में दक्षिण दिशा में मुख करके काले तिल व कुश से तर्पण करें.

हमें पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय पूजन सामग्री में विशेष रूप से रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काली तिल, तुलसी के पत्ते, पान, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी दीया, कपास, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर इत्यादि चीजों को अवश्य शामिल करनी चाहिए. पितृ पक्ष में इन सामग्री को पूजन में शामिल करने से पितर प्रसन्न हो जाते है.

शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं. इसके साथ ही जीवन में चल रहे पारिवारिक कलह दूर हो जाते हैं. कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पितर यमलोक से धरतीलोक पर आते है और अपने संतान को हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद देते है. अगर जिनके पूर्वज की मृत्यु हो गई हो और उनको निर्धारित समय पता न हो तो वैसे जातक सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं.

  • 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- पूर्णिमा श्राद्ध

  • 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- प्रतिपदा श्राद्ध

  • 30 सितंबर 2023 दिन शनिवार- द्वितीया श्राद्ध

  • 01 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- तृतीया श्राद्ध

  • 02 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- चतुर्थी श्राद्ध

  • 03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार- पंचमी श्राद्ध

  • 04 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- षष्ठी श्राद्ध

  • 05 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- सप्तमी श्राद्ध

  • 06 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- अष्टमी श्राद्ध

  • 07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- नवमी श्राद्ध

  • 08 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- दशमी श्राद्ध

  • 09 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- एकादशी श्राद्ध

  • 11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- द्वादशी श्राद्ध

  • 12 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध

  • 13 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध

  • 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या

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