Ayodhya Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामचरितमानस की बढ़ी डिमांड, गीताप्रेस का पहली बार स्टॉक हुआ खत्म

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले मांग बढ़ने के कारण गोरखपुर में गीता प्रेस को अपने स्टॉक में रामचरितमानस की प्रतियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं गीता प्रेस के प्रबंधक, लालमणि त्रिपाठी ने कहा कि सुंदर कांड और हनुमान चालीसा के साथ रामचरितमानस की डिमांड बढ़ गई है.

By Sandeep kumar | January 13, 2024 7:18 AM
feature

अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अब दस दिन शेष रह गए हैं. ऐसे में देश का माहौल भक्तिमय हो गया है. इस ऐतिहासिक समारोह के अवसर पर श्रद्धालु तरह-तरह के धार्मिक अनुष्ठान करवा रहे हैं. इसी बीच देश में भगवान राम और रामायण से संबंधित सामग्रियों और ग्रंथों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. राम से संबंधित ग्रंथों की मांग इतनी अधिक हो गई है कि हिंदू धर्मग्रंथों के प्रमुख प्रकाशक गोरखपुर के गीता प्रेस के पास अब रामचरितमानस की प्रतियां खत्म हो गई हैं और मांगों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है. गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने बताया कि राम मंदिर उद्घाटन की घोषणा के बाद रामचरितमानस के साथ-साथ सुंदर कांड और हनुमान चालीसा की मांग काफी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि प्रेस के पास रामचरितमानस का कोई स्टॉक नहीं बचा है. त्रिपाठी ने बताया कि जैसे ही प्रतियां छपती हैं, उन्हें मांग के कारण तुरंत भेज दिया जाता है. तुलसीदास द्वारा लिखित रामायण संस्करण की प्रतियों की कोई सूची नहीं है.

लालमणि त्रिपाठी ने यह भी कहा कि आम तौर पर गीता प्रेस ग्रंथ की 75,000 प्रतियां छापता है. इस साल उन्होंने 1 लाख प्रतियां प्रकाशित कीं गई. लेकिन फिर भी सारा स्टॉक खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के अलावा सुंदर कांड और हनुमान चालीसा की भी मांग बढ़ी है. यह पहली बार है कि गीता प्रेस को अपने स्टॉक में रामचरितमानस की कमी का सामना करना पड़ रहा है. लालमणि त्रिपाठी ने कहा कि जयपुर से रामचरितमानस की 50,000 प्रतियों की मांग थी और भागलपुर से 10,000 प्रतियों का ऑर्डर दिया गया था. लेकिन वे ऑर्डर पूरा नहीं कर सके. गीता प्रेस को अपनी शाखाओं से धर्मग्रन्थ वितरित करने के आदेश भी मिल रहे हैं, जिन्हें प्रेस पूरा करने में असमर्थ है. उन्होंने कहा कि 22 जनवरी के बाद जब अयोध्या में भारी भीड़ होगी, तो धर्मग्रंथ की मांग भी बढ़ जाएगी. त्रिपाठी ने यह भी कहा कि मुद्रित पुस्तकों की बढ़ती मात्रा को देखते हुए प्रेस को जगह की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version