सरस्वती देवी ने मौन संसार में भरी वाणी
धार्मिक शास्त्रों में सरस्वती माता के बारे में ऐसा लिखा गया है कि मौन संसार में उन्होंने ही वाणी भरी. बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती हाथ में वीणा, पुस्तक और माला लिए हुए वर-मुद्रा में सफेद कमल पर विराजमान प्रकट हुई थीं. जैसे ही उन्होंने वीणा से मधुरनाद छेड़ा, समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई. जलधारा में कोलाहल और हवा में सरसराहट होने लगी. मौन संसार में वाणी भरने वाली देवी सरस्वती ही हैं. उस दिन से ही देवी सरस्वती को ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत और कला की देवी माना जाने लगा.
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सरस्वती पूजा करने से मुर्ख भी बन जाता है विद्वान
बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि ज्ञान और वाणी की देवी होने के कारण माता सरस्वती की उपासना करने वाला मूर्ख भी विद्वान बन जाता है. यदि किसी बच्चे की वाणी से जुड़ी कोई समस्या है तो वह भी दूर हो सकती है. ज्योतिष के अनुसार यदि बच्चे में किसी तरह का वाणी दोष है या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो बसंत पंचमी के दिन कुछ उपाय करने से बच्चे की परेशानी दूर हो सकती है. बच्चे का मन पढ़ाई में न लग रहा हो या बच्चे को वाणी दोष की परेशानी हो तो बसंत पंचमी के दिन क्या उपाय करें जान लें.
वाणी दोष दूर करने के लिए ये उपाय करें
बसंत पंचमी के दिन बच्चे के वाणी दोष के लिए उपाय कर सकते हैं. यदि किसी बच्चे को वाणी दोष है तो बसंत पंचमी के दिन उसकी जीभ पर चांदी की सलाई या पेन की नोक से केसर की मदद से ‘ऐं’ लिख दें. ऐसी मान्यता है कि इससे बच्चे की जुबान ठीक हो सकती है.
बच्चा पढ़ाई से जी चुराता हो तो ये उपाय करें
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बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता. हर वक्त पढ़ाई से जी चुराता है तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे रंग फल अर्पित करना चाहिए.
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बच्चे के स्टडी रूम में माता सरस्वती का एक चित्र रखें और बच्चे को पढ़ाई करने से पहले नियमित रूप से माता को हाथ जोड़ कर प्रणाम करने के लिए कहें.
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सरस्वती पूजा के बाद बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाने से बच्चे की बुद्धि में वृद्धि होती है.
माता सरस्वती की पूजा विधि
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सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें उसके बाद पूजा के स्थान की सफाई करें और रंगोली बनाएं.
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एक चौकी पर मां सरस्वती की प्रतिमा या फोटो रखें. उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें.
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अब देवी सरस्वती को पीला चंदन, हल्दी, केसर, हल्दी से रंगे अक्षत, पीले पुष्प आदि अर्पित करें.
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पीले मीठे चावल या पीली मिठाई का भोग लगाएं.
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पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और बच्चों की किताबें रखें और उनकी भी पूजा करें.
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माता सरस्वती के मंत्र, वंदना पढ़ें. हवन के बाद आरती जरूर करें.