बसंत पंचमी पर शुभ संयोग
सरस्वती पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रेवती नक्षत्र और अश्विनी नक्षत्र समेत कई दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है, इस वर्ष मकर राशि में बुध, मंगल और शुक्र एक साथ रहेंगे. तीन ग्रहों के योग के साथ रेवती नक्षत्र के शुभ संयोग पर बसंत पंचमी का त्योहार मनया जाएगा. पंचमी तिथि के अद्भुत संयोग में मां सरस्वती का पूजन अत्यंत शुभदायक माना जा रहा है, इस दिन मां सरस्वती के साथ-साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, कॉपी, कलम और संगीत यंत्रों की पूजा फलदायी मानी जाती है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस तिथि से अक्षराम्भ, विद्यारंभ को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. पूजा के बाद श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाएंगे और इसी दिन से होली मास आरंभ हो जाता है.
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बसंत पंचमी पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी 2024 को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट और अगले दिन 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी. ये पर्व उदयातिथि के अनुसार 14 फरवरी को मान्य होगा. सरस्वती जी की पूजा के लिए शुभ समय 5 घंटे मिलेंगे. पूजा मुहूर्त सुबह 07 बजे से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है. इस दिन कलम, दवात की विशेष पूजा करनी चाहिए. बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, समस्त 16 संस्कार, खासकर विद्यारंभ संस्कार करने से करियर, धन, वैवाहिक जीवन, में सफलता मिलती है.
बसंत पंचमी पर पूजा विधि
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बसंत पंचमी के दिन स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें. क्योंकि मां सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है.
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अब चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें.
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मां सरस्वती को पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें और पीले रंग का पुष्प, रोली, केसर, हल्दी, चंदन और अक्षत चढ़ाएं.
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बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती को केसर का हलवा बना कर भोग लगाना चाहिए.
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मां सरस्वती के मंत्रों का जाप और मां सरस्वती स्तुति का पाठ करें, इसके बाद घी का दीपक जलाएं और आरती करें.