बीएसएफ के अनुसार, पूछताछ में 15 वर्षीया तनु (परिवर्तित नाम) ने बताया कि वह बांग्लादेश के फरीदपुर जिला की निवासी है और बखुंडा स्थित कपड़े की एक मिल में काम करती थी. दो साल पहले उसने अबुल बसर नामक एक युवक से विवाह किया था, लेकिन कुछ महीनों बाद ही ससुराल वाले उस पर अत्याचार करने लगे. इसी बीच, उसका संपर्क मैना शेख नामक एक महिला से हुआ, जो भारत में एक पार्लर में काम दिलाने की बात कही. उसकी बातों में आने के बाद वह दलालों की मदद से अवैध तरीके से भारत में घुसी, लेकिन बीएसएफ ने उसे पकड़ लिया.
बीएसएफ की 8वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर बी मधुसूदन राव ने बताया कि बीएसएफ, साउथ बंगाल फ्रंटियर के डीआइडी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने इस मामले को के लकर बांग्लादेश के जैसोर के रिजनल कमांडर से संपर्क साधा और किशोरी द्वारा दिये बयान की पूरी जानकारी दी, जिसकी जांच करने के बाद किशोरी के खिलाफ किसी आपराधिक मामला के नहीं होने की पुष्टि हुई. बीजीबी की सहमति के बाद किशोरी को वापस बांग्लादेश भेज दिया गया.
बी मधुसूदन राव ने बताया कि भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मानव तस्करी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए बीएसएफ के साउथ बंगाल फ्रंटियर ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की भी तैनाती सीमा पर की है.
विगत कई मामलों से पता चला है कि अमूनन बांग्लादेश से युवतियों और महिलाओं को नौकरी का झांसा देकर भारत लाया जाता है और जबरन जिस्म फरोशी जैसे घिनौने धंधे में धकेल दिया जाता है. सीमा पर पकड़ी गयी ऐसी लड़कियों के दिये बयान की जांच के बाद मानवीय आधार और दोनों देशों की सीमा सुरक्षा बलों के आपसी सद्भावना के तहत बीजीबी के हवाले कर दिया जाता है.
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Posted By- Aditi Singh