वैशाख आते- आते यह विकराल रूप लेने लगता है और जेष्ठ महीने में तो हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. विरोध कर रहीं महिलाओं का कहना है कि इस इलाके में चार नलकूप है, लेकिन किसी से पानी नहीं आता है. एक सरकारी कुआं है, जिसका पानी भी सूख चुका है. इसके साथ ही जो तालाब है, उसका पानी उपयोग करने लायक नहीं है. इन समस्याओं की वजह से पानी का अकाल पड़ चुका है.
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पंचायत में भी समस्या को सामने रखा गया है. लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला. इस भीषण गर्मी में एक परिवार पर सिर्फ दो बाल्टी पानी दिया जा रहा है, जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं. घर में खाना बनाने से लेकर नहाना, कपड़े धोना, घर की सफाई, बर्तन धोना सहित कई काम है. दो बाल्टी पानी में इतने काम कैसे संभव हो पाएंगे. हमलोग पीने के पानी कुमार बाजार से ढोकर लाने को मजबूर हैं. अवरोधकारियों का कहना है कि अगर पानी की समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा.
आदिवासी महिलाएं विरोध कर रही हैं. लगभग तीन घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रशासन की तरफ से आदिवासीपाड़ा में इनकी समस्या सुनने के लिए कोई नहीं पहुंचा, ना ही किसी ने इनसे संपर्क करने की कोशिश की. वहीं दूसरी ओर पंचायत प्रधान ने बताया कि पिछले कई दिनों से विद्युत की समस्या हो रही है.जिसकी वजह से पानी की समस्या भी खड़ी हो रही है. हालांकि जल्दी विद्युत की समस्या को दूर करने की कोशिश की जा रही है ताकि लोगों को भरपूर पानी मिल सके.
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Posted By: Aditi Singh