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फूल के कारण इस इलाके में पिछले दो दिनों से रात में बदबू आता था, बदबू के बाद जब लोग देखने पहुंचे वहां पेड़ के नीचे गहरे भूरे रंग की फूल की पंखुड़ियों से मिला. स्थानीय निवासी पंचानन धरा ने कहा, “मैंने पहले कभी इस तरह के फूल नहीं देखे हैं.सुबह जब मैं भूसे को काटने गया था तो मेरी नाक में एक तेज गंध आयी . नजदीक जाकर देखा तो तब मुझे महसूस हुआ कि इस फूल से गंध आ रही है.” फूल की पहचान के बारे में पूछे जाने पर बर्दवान विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अशोक घोष ने कहा,“ यह ओल के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे मैं अपने भोजन के रूप में उपयोग करता हूं.
जिसका वैज्ञानिक नाम एमोफैलस टाइटेनियम है. यह उसका पुष्पक्रम है. अत्यधिक गर्मी में प्रजनन के लिए इस प्रकार का पुष्पक्रम अक्सर ओल के पौधों पर देखा जाता है. ” विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञानी जय प्रकाश केशरी ने कहा,जिससे ओल फिर से सबसॉइल में उगता है. प्रसार के लिए फूलों की कलियां (12-14 साल बाद) बनती हैं.इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है. इसमें सड़े हुए मांस की तरह गंध आती है. यह ओल के पौधे की एक बहुत ही आम प्रजाति है. कई जगहों पर इस तरह की घटनाएं देखी जा सकती हैं.
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Posted By: Aditi Singh