वहीं, हाइकोर्ट के न्यायाधीश अरिंदम मुखर्जी ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता ने पहले ही सीसीटीवी फुटेज संग्रह करके रखने का आवेदन किया था, तो इस दिशा में पुलिस ने क्या कार्रवाई की. अगर अब तक इसका संग्रह नहीं किया गया है, तो अब इसका संग्रह करना होगा. मामले की अगली सुनवाई सोमवार को हाइकोर्ट में होगी.
उल्लेखनीय है कि विधाननगर पूर्व थाने की पुलिस ने 21 दिसंबर 2020 को धोखाधड़ी के आरोप में एक युवती को गिरफ्तार किया था. इसके बाद छह जनवरी को आरोपी युवती को निचली अदालत से जमानत भी मिल गयी थी. जमानत के पहले ही युवती के भाई ने लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि उसकी दीदी को गिरफ्तार करने से पहले ही प्रताड़ित किया जा रहा था. गिरफ्तारी के बाद उसकी दीदी के साथ पुलिस ने बदसलूकी व मार-पीट की थी.
जमानत के बाद युवती ने पुलिस पर अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करायी थी, लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद युवती ने अब हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने सरकारी वकील से सीसीटीवी के बारे में पूछा तो सरकारी वकील अमितोष बंद्योपाध्याय ने बताया कि तीन माह से अधिक समय होने के बाद सीसीटीवी फुटेज का संग्रह कर पाना संभव नहीं है. इस पर युवती के वकील कल्लोल बसु ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पुलिस से पहले ही सभी सीसीटीवी को संग्रह करके रखने का आवेदन किया था. हाइकोर्ट ने अब इस मामले में विधाननगर के पुलिस आयुक्त से हलफनामा मांगा है.
Also Read: विधानसभा चुनाव 2021 LIVE: आठ फेज में चुनाव करवाकर बंगाल को बदनाम कर रही है बीजेपी, लॉकेट चटर्जी के गढ़ में ममता बनर्जी का आरोप
Posted By – Aditi Singh