भाद्रपद अमावस्या आज, जानें ज्योतिषाचार्य से शुभ मुहूर्त, स्नान-दान और श्राद्ध समेत इस दिन का महत्व

Bhadrapad Amavasya 2023 Date: भाद्रपद मास में आने वाली अमावस्या बहुत खास मानी जाती है. इस दिन स्नान-दान और श्राद्ध कर्म के अलावा पूजा का विधान है. मान्यता है कि भाद्रपद अमावस्या पर हाथों में कुश लेकर तर्पण करने से कई पीढ़ियों के पितर देव तृप्त हो जाते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | September 14, 2023 7:13 AM
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Bhadrapad Amavasya 2023 Date: सनातन धर्म में भाद्रपद अमावस्या का विशेष महत्व है. भादो मास की अमावस्या को कुशोत्पतिनी अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है. आइए जानते हैं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र लखनऊ के संस्थापक वेद प्रकाश शास्त्री से भाद्रपद अमावस्या की सही डेट, स्नान-दान, शुभ मुहूर्त और इस दिन क्या करना चाहिए और इस दिन का विशेष महत्व क्या है.

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 14 सितंबर को सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 15 सितम्बर 2023 को शुक्रवार दिन सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. भादो अमावस्या 14 सितंबर 2023 दिन गुरुवार को होगी.

पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023 को सुबह 04 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 15 सितंबर 2023 को सुबह 07 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा. इस दिन स्नान-दान करने का शुभ समय सुबह 04 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. वहीं अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.

भादो अमावस्या मारवाड़ी समुदाय के लिए बहुत महत्व रखता है, वे इस दिन को भादो अमावस्या या भादी अमावस्या कहते हैं. उनका मानना ​​है कि इस दिन सभी को दुर्भावनापूर्ण भावनाओं और पिछले दुष्कर्मों से छुटकारा पाना चाहिए, बल्कि आशावाद और सभी के लिए प्यार के साथ एक नया जीवन शुरू करना चाहिए.

इस दिन सुबह पवित्र नदियों में स्नान करने, पितरों की पूजा करने और दान करने का विधान है. ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनके लिए अमावस्या तिथि पर उपाय करना अच्छा रहता है.

अमावस्या की रात को भूलकर भी श्मशान घाट या उसके आसपास से नहीं गुजरना चाहिए. अमावस्या की रात को सुनसान रास्ते पर जाने से भी बचना चाहिए. अमावस्या के दिन कमजोर दिल वाले लोग आसानी से नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव में आ जाते हैं, इसलिए ऐसे लोगों को सावधान रहना चाहिए.

घर में पूरी तरह से साफ सफाई करनी चाहिए तथा चारों कोनों में गंगाजल का छिडकाव करना चाहिए. इसके अतिरिक्त पुराने कपडे, घर का खराब समान, अनुपयोगी वस्तुयें आदि घर से बाहर निकाल देना चाहिए. अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करना अति उत्तम कार्य माना जाता है. इस दिन प्रवाहित जलधारा में तिलांजलि करना लाभकारी माना जाता है.

मां गंगा या किसी पवित्र सरोवर में स्नान कर शिव-पार्वती एवं तुलसी की विधिवत पूजा करें. भगवान् शिव पर बेलपत्र, बेल फल, मेवा, मिठाई, जनेऊ का जोड़ा आदि चढ़ा कर ॐ नमः शिवाय की 11 माला करने से असाध्य कष्टो में भी कमी आती है. प्रातः काल शिव मंदिर में सवा किलो साबुत चांवल दान करें.

भद्रपद अमावस्या तिथि 14 सितंबर के दिन है. इस दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करें. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें. पितरों की शांति के लिए गंगा तट या किसी पवित्र नदी के तट पर पिंडदान करें.

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