बॉम्बे हाईकोर्ट ने गंगूबाई काठियावाड़ी के निर्माताओं और आलिया भट्ट के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर लगाई रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आलिया भट्ट और फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के निर्माताओं के खिलाफ निचली अदालत में मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2021 8:46 PM
an image

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी (Gangubai Kathiawadi) के निर्माताओं के खिलाफ निचली अदालत में मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने पहले बाबूजी शाह द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत में मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जिन्होंने गंगूबाई काठियावाड़ी के दत्तक पुत्र होने का दावा किया था.

मुंबई की मझगांव मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने शाह की ओर से दायर मानहानि शिकायत में समन जारी किया था. उन्होंने दावा किया कि उपन्यास में काठियावाड़ी पर जिन अध्यायों पर फिल्म आधारित है, वे मानहानिकारक थे, उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करते थे और उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन करते थे और उनके वंशज होने के कारण इसने उन्हें प्रभावित किया है.

फिल्म के निर्माता, भंसाली प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड, संजय लीला भंसाली, आलिया भट्ट और लेखकों के साथ इस तरह के सम्मन के मुद्दे और उनके खिलाफ जारी प्रक्रिया को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया. निर्माताओं और आलिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि उन्हें गंगूबाई काठियावाड़ी के कथित दत्तक पुत्र बाबूजी के अस्तित्व के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने सिटी सिविल कोर्ट के पहले के एक आदेश की ओर भी इशारा किया, जिसने पुस्तक के लेखकों के खिलाफ एक स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करने वाले एक मुकदमे को खारिज कर दिया था, जिसने उन्हें अपने उपन्यास पर तीसरे पक्ष के अधिकारों को प्रकाशित करने, बेचने या बनाने से रोकने की मांग की थी.

पोंडा ने आगे कहा कि, बाबूज शाह अपने सत्यापन में भी शिकायत करने में विफल रहे क्योंकि वह यह दिखाने में असफल रहे कि मानहानि कैसे हुई और इस तरह की मानहानि करने का इरादा क्या था. उन्होंने यह भी मुद्दा उठाया था कि बाबूजी के पास यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है कि वह वास्तव में काठियावाड़ी द्वारा अपनाये गये थे.

Also Read: नोरा फतेही की कार का हुआ एक्सीडेंट, एक्ट्रेस के ड्राइवर ने ऑटो रिक्शा को मारी टक्कर, यहां पढ़ें डिटेल

वहीं बाबूजी शाह की ओर से पेश अधिवक्ता नरेंद्र दुबे ने बताया कि, शहर की सिविल कोर्ट के समक्ष एक अन्य कार्यवाही में गोद लेने के मुद्दे को सुलझा लिया गया था. उन्होंने कहा कि पुस्तक में भी लेखकों ने दत्तक पुत्र के बारे में ज्ञान होने की बात स्वीकार की थी.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version