वर्ष 2000 में एक साथ तीन राज्यों का गठन हुआ था. झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़. तीनों राज्यों में एक समानता थी. जंगल और पहाड़ इनकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. ये तीनों ही राज्य प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण हैं. जंगल, पहाड़ और झरने इनकी विशिष्टता हैं. झारखंड और छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने न केवल नैसर्गिक सौंदर्य की नेमत दी है, बल्कि इन्हें खनिज संपदा से भी मालामाल कर रखा है. बावजूद इसके दोनों क्षेत्रों का समुचित विकास नहीं हो पाया था. आदिवासी बहुल दोनों राज्यों का गठन इसलिए हुआ, ताकि विकास के मामले में पीछे छूट चुके दोनों क्षेत्र अपनी परिस्थितियों के अनुकूल, अपने लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप अपना विकास कर सकें. अनुसूचित जनजाति (एसटी) बहुल झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई जिले सटे हुए हैं. छत्तीसगढ़ की कई विधानसभा सीटें हैं, जो झारखंड की सीमा से लगती हैं. गढ़वा, लातेहार, गुमला और सिमडेगा झारखंड के ऐसे जिले हैं, जिससे छत्तीसगढ़ की सीमाएं सटीं हैं. कम से कम चार विधानसभा सीट ऐसी है, जो झारखंड के इन जिलों से सटे हुए हैं. नक्सल प्रभावित गुमला जिला एकमात्र ऐसा जिला है, जिससे छत्तीसगढ़ के दो विधानसभा क्षेत्र की सीमा मिलती है. वहीं, एक विधानसभा (8) सीट ऐसी है, जो झारखंड के दो जिलों से सटी है. उत्तर प्रदेश और झारखंड की सीमा पर स्थित रामानुजगंज विधानसभा सीट गढ़वा जिला से सटता है. समरी विधानसभा सीट लातेहार और गुमला जिले की सीमा से लगा है. जशपुर जिले का कुनकुरी सीट सिमडेगा जिला की सीमा से सटा है. कुनकुरी विधानसभा सीट सिमडेगा के अलावा ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की सीमा से भी सटता है.
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