खतरे में बचपन: जर्जर और अनफिट गाड़ियों से स्कूल जा रहे बच्चे, ऐसी है परिवहन – यातायात पुलिस की अनदेखी
स्कूल वाहन संचालक वाहन में 4 की जगह 14 बच्चों को बैठा कर उनकी जान के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. बच्चों को बैठाने के लिए गाड़ी की डिग्गी में भी सीट लगा दे रहे हैं.
By Prabhat Khabar News Desk | July 20, 2023 10:01 PM
गोरखपुर : स्कूल खुलते ही उन्हें ले जाने और ले आने के लिए टेंपो,ऑटो,मैजिक सड़कों पर फर्राटा भरनी शुरू हो गई हैं. सुबह लगभग 6 बजे से ही गाड़ियां बच्चों को लेने के लिए उनके घर पर पहुंच जाती हैं. छुट्टी के बाद गाड़ी वाले बच्चों को गाड़ियों पर बैठाकर उनके घर की ओर चले जाते हैं. लेकिन इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि इन गाड़ियों में बहुत सी गाड़ियां अनफिट और जर्जर है. कुछ टेंपो और आटो वाले तो 4 की जगह 14 बच्चों को बैठा कर चलते हैं. और तो और गाड़ियों में बच्चों को बैठने के लिए गाड़ी की डिग्गी में भी सीट लगा दी जाती है. जिससे ज्यादा संख्या में बच्चे उनके गाड़ियों में बैठ सकें. परिवहन व यातायात पुलिस अनजान बने बैठी हैं. जबकि गोरखपुर की यातायात पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा पखवाड़े की दृष्टिगत अभियान चलाया जा रहा है.
गुरुवार को प्रभात खबर के रिपोर्टर द्वारा किए गए रियलिटी चेक में आप देख सकते हैं किस तरीके से एक जर्जर मैजिक गाड़ी बच्चों को उनके घर से लेने के लिए आई है. इस गाड़ी में ना तो हेडलाइट है और ना ही गाड़ी की हालत सही दिख रही है. गाड़ी की डिग्गी में सीट लगा कर बच्चों के बैठने की व्यवस्था की गई है. आटो और टेंपो में बच्चे इस कदर बैठे रहते हैं कि उनका आधा शरीर गाड़ी से बाहर निकला रहता है. उनके बैग गाड़ी से बाहर निकले रहते हैं जिससे दुर्घटना हो सकती है. गाड़ियों में बच्चे पसीने से भीगे,सहमे , दुबके बैठे रहते हैं. क्या इससे परिवहन विभाग और यातायात पुलिस अनजान बनी रहती है.क्या अभिभावक भी इस बात का संज्ञान नहीं लेते हैं.
बताते चलें गाड़ियों का फिटनेस प्रमाण पत्र पहली बार 2 साल के लिए बनता है. 2 साल के बाद प्रत्येक वर्ष में जांच होती है और फिटनेस प्रमाण पत्र बनता है. गाड़ी की फिटनेस के लिए गाड़ी का इंजन,हॉर्न, आगे और पीछे की लाइट व इंडिकेटर, सीट, बॉडी रिफ्लेक्टर, सफाई, डेंट पेंट, हाई सिक्योरिटी नंबर, प्रदूषण की स्थिति और बीमा आदि की जांच जरूरी है.एक ऑटो की निर्धारित आयु पेट्रोल और एलपीजी चलित ऑटो की उम्र 7 साल की होती है उसके बाद वो स्क्रेप की श्रेणी में आ जाता है वहीं सीएनजी चालित ऑटो की उम्र 15 वर्ष होती हैं उसके बाद आटो स्क्रैप की स्थिति में आ जाता है.
गोरखपुर जनपद में लगभग 18000 ऑटो पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से अधिकतर की उम्र पूरी हो चुकी है. जिनकी आयु शेष है वह भी समय से फिटनेस जांच नहीं कराते हैं विभाग भी जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है. ऐसे में चालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है जिन गाड़ियों में आम यात्री में बैठना पसंद नहीं करते हैं चालको ने उन गाड़ियों को स्कूल वाहन बना दिया हैं. ऐसे खटारा ऑटो और गाड़ियों में महानगर के दूरदराज कालोनियों के बच्चे स्कूल पढ़ने आते हैं. ऑटो चालक अभिभावकों से मुंह मांगा किराया वसूलते हैं.
वही इस मामले में संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन संजय कुमार झा ने बताया कि सड़क सुरक्षा पखवाड़ा चल रहा है. अभियान चलाकर ऑटो टेंपो के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि अभिभावकों और स्कूल प्रबंधक को भी जागरूक किया जाएगा इस तरह तरह के गाड़ियों से अपने बच्चों को वह ना भेजें.