दरअसल, पुलिस इस हेराफेरी के मामले में जब निष्कर्ष तक पहुंची तो पाया कि शिक्षिका शुभ्रा पाल के अकाउंट से किसी और ने नहीं बल्कि उनके 12 वर्षीय बच्चे ने ही डाका डाला था.
गेम लेवल बढ़ाने के चक्कर में 3 लाख 22 हजार खपत
उनका 12 वर्षीय बच्चा ऑनलाइन गेम खेलने का शौकिन है. ऐसे में वह पेड हार्ड लेवल को पार करने के चक्कर में अनजाने में ऑनलाइन हथियार खरीद (Weapon Purchase) कर गेम खेलने में मशगूल था. उसे भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि कब उसके मां के अकाउंट से 3 लाख 22 हजार रुपये छूमंतर हो गए.
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तीन महीने में हुए 278 ट्रांजैक्शन
पुलिस के इंवेस्टीगेशन में मालूम चला कि 08 मार्च से 10 जून के बीच कुल 278 ट्रांजैक्शन हुए. छत्तीसगढ़ के एक निजी स्कूल पीवी 12 मिडिल स्कूल में शिक्षिका पद पर कार्यरत शुभ्रा पाल को जब इस बात की जानकारी हुई तो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति उनके समक्ष हो गयी. वह, न तो बच्चे के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई कर सकती थी और न ही पैसे ही वापस ला सकती थी.
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OTP नहीं आया मोबाइल पर
महिला शिक्षिका ने 11 जून का केस दर्ज करवाया था. बड़ी बात यह थी जितने भी ट्रांजैक्शन हुए उनमें से एक से संबंधित भी ओटीपी मोबाइल पर नहीं आया. ऐसे में पुलिस को लग रहा था कि साइबर क्राइम का ये अनोखा तरीका क्रिमनलों ने अपनाया है. लेकिन, बाद में खुलासा हुआ कि जिस मोबाइल पर बच्चा गेम खेल रहा था वही बैंक अकाउंट से लिंक था. जितने भी पैसे थे ऑनलाइन गेम खेलने और गेमिंग लेवल व वेपन अपग्रेड करने में चले गए. उस महिला शिक्षिका का 12 साल का बेटा दिन भर फ्री फायर गेम खेला करता था.
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Posted By: Sumit Kumar Verma