क्या है समस्या
जैंतगढ़-हाटगम्हरिया पीडब्ल्यूडी सड़क को 15 वर्ष पूर्व एनएच बना दिया गया. पहले वाहन कम चलते थे. सड़क किनारे अधिकतर स्कूल 30-40 वर्ष पूर्व स्थापित हुए थे. एनएच बनने के बाद दिन-रात वाहनों का काफिला लगा रहता है. ध्वनि व वायु प्रदूषण से पठन-पाठन भी प्रभावित होता है.
नो इंट्री के कारण हो रहीं दुर्घटनाएं
स्कूलों का संचालन सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक हो रहा है. बच्चे छह से साढ़े छह बजे घर से निकलते हैं. चंपुआ (ओडिशा) में सुबह आठ से दिन के 11 बजे तक नो इंट्री रहती है. ऐसे में सुबह छह से सात बजे वाहनों का आवागमन अधिक होता है. वहीं, 11 बजे नो इंट्री खुलने के बाद तीन बजे से रात आठ बजे तक नो इंट्री लगती है. भारी वाहन चालक 11 से तीन के बीच तेज रफ्तार से वाहन चलाते हैं.
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स्कूलों में चहारदीवारी व सड़क पर स्पीड ब्रेकर नहीं
कई स्कूलों में चहारदीवारी तक नहीं है. वहीं, स्कूलों के पास स्पीड ब्रेकर या बैरिकेडिंग नहीं है. कुछ स्थानों पर ‘आगे स्कूल है’ का बोर्ड लगा है. ऐसे में सुरक्षा को लेकर खतरा रहता है.
सुबह छह बजे से दिनभर नो इंट्री की मांग
अभिभावकों की मांग है कि सुबह छह बजे से दिन भर नो इंट्री लगायी जाए. स्कूलों में पेयजल और शौचालय की व्यवस्था सुचारु रूप से किया जाए. स्कूलों में चहारदीवारी की जाए. स्कूलों के सामने बैरिकेडिंग की जाए.
एनएच किनारे स्थित स्कूल
बेसिक स्कूल जैंतगढ़, प्लस टू हाइ स्कूल जैंतगढ़, ओडिया स्कूल जैंतगढ़, प्रावि छनपदा, मवि पट्टाजैंत, मवि गोरियाडूबा, मवि धोड़ाडीहा, मवि नरसिंहपुर, मवि जलडीहा, प्रवि डिपासाही, मवि करंजिया, बेसिक स्कूल बिनसाही, प्रवि डेब्रासाही, मवि कोइडा, मवि हाटगम्हरिया, प्लस टू हाइ स्कूल हाटगम्हरिया, सरस्वती शिशु मंदिर हाटगम्हरिया आदि.
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