आगे उन्होंने कहा, “ड्रोन के उपयोग से स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति में क्रांति! एम्स हेलीपैड से जिला अस्पताल टिहरी गढ़वाल तक टीबी रोधी दवाओं के परिवहन के लिए एम्स ऋषिकेश में ड्रोन-आधारित सफल परीक्षण किया गया. लगभग 40 किलोमीटर की हवाई दूरी को 30 मिनट के भीतर तय किया गया, जो पर्वतीय क्षेत्र तक आसानी से पहुंचा.” मांडविया ने कहा कि इस तरह का अगला ड्रोन आधारित परीक्षण एम्स दिल्ली और एम्स झज्जर के बीच होने वाला है.
एम्स ऋषिकेश के कार्यकारी निदेशक डॉ मीनू सिंह ने कहा, “दवाओं की आपूर्ति उत्तराखंड के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले मरीजों के लिए मददगार होगी. हम एक ऐसी प्रणाली बनाना चाहते हैं जहां तपेदिक से पीड़ित मरीजों को दवाएं मिल सकें और उन्हें इलाज के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े.” आगे डॉ मीनू सिंह ने कहा, “ड्रोन का उड़ान भरना ही एकमात्र उपलब्धि नहीं है, बल्कि सुरक्षा के साथ दूरदराज के इलाकों में दवाओं की डिलीवरी एक बड़ी उपलब्धि है.”
जम्मू और कश्मीर में, भारतीय सेना ने बर्फीले इलाकों में सैनिकों को आगे बढ़ाने के लिए कोविड वैक्सीन की बूस्टर खुराक की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया. महाराष्ट्र में भी दूर-दराज के गांवों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था.